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भारत के नाम पर पाकिस्तान सेना काट रही मौज, 'नया पाकिस्तान' पर 6 लाख करोड़ का कर्ज

मार्च 2019 तक ही पाकिस्तान पर 85 बिलियन डॉलर यानी भारतीय मुद्रा के हिसाब से 6 लाख करोड़ से ज़्यादा का कर्ज है. हालांकि भारत पर हमले की धमकी को और बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने वाली पाकिस्तानी सेना इस आड़ में जरूर ऐश काट रही है.

Updated on: 30 Aug 2019, 02:34 PM

highlights

  • पाकिस्तान 23वीं बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास 6 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए पहुंचा था.
  • चालू वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान की विकास दर महज 3 फीसदी की रह सकती है. स्थितियां और होंगी खराब.
  • पाकिस्‍तान सेना के अधिकारी काट रहे मौज. कुल वार्षिक बजट का करीब 20 फीसदी हिस्‍सा सेना को जाता है.

नई दिल्ली.:

पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान (Imran Khan) का 'नया पाकिस्तान' पैसे-पैसे को मोहताज हो चुका है. मार्च 2019 तक ही पाकिस्तान पर 85 बिलियन डॉलर यानी भारतीय मुद्रा के हिसाब से 6 लाख करोड़ से ज़्यादा का कर्ज (Loan) है. रोजमर्रा के कामों के लिए भी इमरान खान को कर्ज लेना पड़ रहा है. स्थिति यह आ गई है कि सरकार के पास प्रधानमंत्री कार्यालय का बकाया बिजली का बिल चुकाने लायक पैसे भी नहीं है. इसके बावजूद कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान भारत को परमाणु हमले (Nuclear Attack) की धमकी दे रहा है. इस धमकी को और बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने वाली पाकिस्तानी सेना इस आड़ में जरूर ऐश काट रही है.

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6 लाख करोड़ का कर्ज
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मार्च 2019 तक पाकिस्तान पर 85 बिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 6 लाख करोड़ से ज़्यादा कर कर्ज है. पाकिस्तान ने पश्चिमी यूरोप (Western Europe) और मध्य पूर्व (Middle East) के देशों से भारी भरकम कर्ज ले रखा है. पाकिस्तान को सबसे ज्यादा कर्ज चीन ने दिया है. इसके अलावा पाकिस्तान ने कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों से भी लोन ले रखा है. इस साल मई में पाकिस्तान 23वीं बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास 6 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए पहुंचा था. यह तब है जब इमरान खान ने आईएमएफ के पास नहीं जाने का वादा कर चुनाव लड़ा था. पाकिस्तान की खस्ता हालात को देखते हुए आईएमएफ ने इस बार लोन के लिए कड़ी शर्तें रखी हैं. इसके मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष (Financial Year) में पकिस्तान के राजस्व में 40 फीसदी का इज़ाफा होना चाहिए, जो विद्यमान हालात में दूर की कौड़ी ही लगता है.

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विकास दर रसातल में
इस साल जुलाई की रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा था कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) बेहद नाजुक मोड़ पर है. दरअसल पाकिस्तान में कोई भी देश जल्दी निवेश (Foreign Investment) नहीं करना चाहता है. इसके अलावा यहां बिजनेस करने का माहौल भी नहीं है. सरकारी कंपनियां पहले से की बड़े नुकसान में है. बिजली (Electricity) जैसी जरूरी चीज की भी जबर्दस्त कमी है. आईएमएफ के मुताबिक अगर ऐसे में तुरंत कोई पॉलिसी नहीं बनाई जाती है तो हालात और भी खराब हो जाएंगे. साल 2000 से 2015 के बीच पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था औसतन 4.3 फीसदी की दर (Growth Rate) से बढ़ी है. 2019 से 2020 के बीच अनुमान जताया गया है कि पाकिस्तान की विकास दर महज 3 फीसदी की रह सकती है. उस पर तुर्रा यह है कि 9 फीसदी की मंहगाई दर (Inflation) ने पाकिस्तान की आवाम की कमर तोड़ कर रख दी है.

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सेना के अधिकारियों की बल्ले-बल्ले
एक तरफ इमरान खान के पास अपने सचिवालय के बिजली का बिल (Electricity Bill) चुकाने के लिए 41 लाख 13 हजार 992 रुपये नहीं हैं. दूसरी तरफ पाकिस्‍तानी सेना (Pakistan Army) के पास पैसे की कोई कमी नहीं है. यह तब है जब पाकिस्‍तान संयुक्‍त राष्‍ट्र मानव विकास (United Nations Human Development Index) सूचकांक में 150वें नंबर पर आता है. विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्‍तान की इस आर्थिक बदहाली की जिम्‍मेदार उसकी सेना ही है. विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्‍तान के कुल वार्षिक बजट (Budget) का करीब 20 फीसदी हिस्‍सा सेना को जाता है. पाकिस्‍तान का रक्षा बजट 1,13,77,110 लाख रुपये है. पाकिस्‍तानी सेना हमेशा भारत का खौफ दिखाकर अपना पैसा बढ़ाती रहती है. रक्षा बजट के विपरीत पाकिस्‍तान शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य जैसी जरूरी सेवाओं पर अपने बजट का औसतन मात्र 5 फीसदी खर्च करता है.

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पाकिस्तान सेना नहीं व्यावसायिक प्रतिष्ठान कहिए
पाकिस्‍तान की सेना सुरक्षा के साथ-साथ मीट, गैस, खाद, बैंक, पावर समेत 50 से ज्‍यादा व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठानों को चलाती है. सेना का मुख्‍य व्यवसाय हथियार है. सेना के फौजी फाउंडेशन (Fauji Foundation) ने वर्ष 2011 से 2015 के बीच 78 फीसदी की विकास दर हासिल की है. फौजी फाउंडेशन की वार्षिक आय 1.5 अरब डॉलर है. सेना समर्थित संगठनों का रियल स्‍टेट, फूड और संचार उद्योग में हिस्‍सा है. पाकिस्‍तान सेना की अब तेल के उत्‍खनन (Oil Refinary) और खनन उद्योग में पांव पसार रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक सेना के समर्थन से सत्‍ता में आए इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्‍तानी सेना का बिजनेस और कमाई ज्‍यादा तेजी से बढ़ रही है.

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रिटायरमेंट के बाद भी पाकिस्‍तानी जनरलों की मौज
पाकिस्‍तान की सेना अपने साम्राज्‍य में किसी भी प्रकार की कमी करने पर सरकार से नाराज हो जाती है और परवेज मुशर्रफ (Parvez Musharraf) की तरह सत्‍ता पलट भी कर देती है. वर्तमान आर्मी चीफ (Army Chief) जनरल कमर अहमद बाजवा पर्दे के पीछे से इमरान सरकार पर पूरी पकड़ बनाए हुए हैं. यही नहीं, पाकिस्‍तानी सेना प्रमुखों को रिटायर होने पर कई एकड़ में फैले घर दिए जाते हैं, जिनमें ऐशो-आराम की सारी सुविधाएं रहती हैं. कह सकते हैं कि पाकिस्तान हुक्मरान के लिए यदि कश्मीर (Kashmir) 'ऑक्सीजन' की तरह है, तो भारत के खिलाफ छद्म युद्ध पाकिस्तान सेना के लिए पैसा बनाने का जरिया है.