लंच और डिनर में छुरी-चम्मच, स्ट्रॉ भी खाना पड़ सकता है, ऐसी होगी प्लास्टिक के बिना दुनिया
सिंगल-यूज प्लास्टिक से बनने वाले 6 प्रोडक्ट्स- प्लास्टिक बैग (Plastic) , स्ट्रॉ, कप्स, प्लेट, बोतल और शीट्स बंद होने जा रही हैं.
नई दिल्ली:
अगर आने वाले दिनों में आप किसी रेस्टोरेंट में सामने की टेबल पर किसी शख्स को चम्मच चबाते हुए देखें तो चौेंके नहीं. यह भी हो सकता है आपका बच्चा कोल्ड ड्रिंक (Cold Drink) पीने के बाद स्ट्रॉ (Straw) बिस्कीट की तरह खाता नजर आए. यह भी संभव है कि डोसा काटने वाली छूरी (Knife) पर आपका भी मन ललचा जाए और आप इसे खाने लगें. जी हां ऐसी होने वाला है. सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) के खिलाफ दुनिया भर में मुहीम शुरू हो चुकी है और भारत भी 2 अक्टूबर से इसका हिस्सा बनने जा रहा है.
2 अक्टूबर, 2019 को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 100वीं जयंती (100th Birth Anniversary Of Mahatma Gandhi) के दिन देशभर में सिंगल-यूज प्लास्टिक बैन (Single Use Plastic) होने जा रहा है. यानी सिंगल-यूज प्लास्टिक से बनने वाले 6 प्रोडक्ट्स- प्लास्टिक बैग (Plastic) , स्ट्रॉ, कप्स, प्लेट, बोतल और शीट्स बंद होने जा रही हैं. इसके नुकसान से बचने के लिए विकल्प के रूप में अब नए तत्वों की खोज की जा रही है जो आसानी से रिसाइकल किए जा सकते हैं.
भारत में तो प्लास्टिक बैग के विकल्प के रूप में कपड़े, जूट और कागज के बैग सामने आते हैं. वहीं भारत की कंपनी बेकरीज ने ज्वार से छुरी-चम्मच बनाए हैं. स्ट्रॉ की तरह इन्हें भी आप खा सकते हैं. ऐसा ही कुछ अमेरिकी कंपनी स्पड वेयर्स ने भी किया है. इनके चम्मच आलू के स्टार्च से बने हैं.
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जर्मनी की कंपनी वाइजफूड ने ऐसे स्ट्रॉ बनाए हैं जिन्हें इस्तेमाल करने के बाद खाया जा सकता है. ये सेब का रस निकालने के बाद बच गए गूदे से तैयार की जाती हैं. पोलैंड की कंपनी बायोट्रेम ने चोकर से प्लेटें तैयार की हैं. इन प्लेटों को डिकंपोज होने में महज तीस दिन का वक्त लगता है. खाने की दूसरी चीजों की तरह ये भी नष्ट हो जाती हैं.
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प्लास्टिक के ग्लास के जगह कागज या गत्ते के बने ग्लास का इस्तेमाल किया जा सकता है. जर्मनी की एक कंपनी घास के इस्तेमाल से भी इन्हें बना रही है. तो वहीं बांस से भी ऑर्गेनिक ग्लास बनाए जा रहे हैं. डोनेशिया की एक कंपनी अवनी ने ऐसे थैले तैयार किए हैं जो देखने में बिलकुल प्लास्टिक की पन्नियों जैसे ही नजर आते हैं. लेकिन दरअसल ये कॉर्नस्टार्च से बने हैं. इस्तेमाल के बाद अगर इन्हें इधर उधर कहीं फेंक भी दिया जाए तो भी कोई बात नहीं क्योंकि ये पानी में घुल जाते हैं. कंपनी का दावा है कि इन्हें घोल कर पिया भी जा सकता है.
बर्लिन में ऐसा प्रोजेक्ट चलाया जा रह है जिसके तहत लोग एक कैफे से ग्लास लें और जब चाहें अपनी सहूलियत के अनुसार किसी दूसरे कैफे में उसे लौटा दें. यूरोपीय संघ ईयर बड पर भी रोक लगाने के बारे में सोच रहा है. इन्हें बांस या कागज से बनाने पर भी विचार चल रहा है.
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