logo-image

कंगाल पाकिस्तान में लगा 'गधों का मेला', गधों को बेचकर इमरान सरकार कमाएगी रुपए

भारत में किसी को अगर 'गधा' कह दें तो मारपीट की नौबत आ जाती है. हालांकि (Kangal Pakistan) पाकिस्तान में ऐसा नहीं है. 'गधों का मेला' लगाकर उन्नति की सोच रहा पाकिस्तान, भारत से चला मुकाबला करने वहां फिलवक्त 'गधों' को आम इंसानों से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है.

Updated on: 15 Sep 2019, 04:41 PM

highlights

'नया पाकिस्तान' गधों के दम पर आर्थिक दुश्वारियों को दूर करने की 'महत्वाकांक्षी योजना' पर काम कर रहा.
पाकिस्‍तान के हैदराबाद शहर से 70 किमी दूर बादिन जिले में गधों का मेला लगाया गया है.
पाकिस्तान बड़े पैमाने पर चीन को गधे निर्यात करेगा. इनसे परंपरागत दवाइयां बनती हैं.

नई दिल्ली:

भारत में किसी को अगर 'गधा' (Donkey) कह दें तो मारपीट की नौबत आ जाती है. हालांकि पाकिस्तान (kangal Pakistan) में ऐसा नहीं है. वहां फिलवक्त 'गधों' को आम इंसानों से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. कश्मीर के मसले पर भारत को 'युद्ध' (War) की धमकी दे रहे पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान (Imran Khan) का 'नया पाकिस्तान' गधों के दम पर अपनी आर्थिक दुश्वारियों को दूर करने की 'महत्वाकांक्षी योजना' पर काम कर रहा है. इसमें उसका मददगार बना है 'परंपरागत मित्र' चीन 9China). खैबर-पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtookhwa) में 'केपी-चाइना सस्टेनेबल डंकी डेवलपमेंट प्रोग्राम' चलाया जा रहा है. यही नहीं, गधों के कारोबार को बढ़ाना देने के लिए खास गधों का मेला लगाया गया है.

गधों की जनसंख्या के लिहाज से तीसरा बड़ा देश
गौरतलब है कि गधों की आबादी (Donkeys Population) के लिहाज से पाकिस्तान दुनिया में तीसरे नंबर का देश है. पंजाब प्रांत के लाइव स्टॉक (Live Stock) महकमे के मुताबिक पूरे पाकिस्तान में लगभग 50 लाख गधे हैं. पाकिस्तान इन गधों को चीन को निर्यात (Export) कर रहा है. चीन में गधों से बने उत्पादों और दवाइयों की भारी मांग है. यहां यह जानना भी रोचक रहेगा गधों की आबादी सबसे ज्यादा चीन में ही है. चीन को गधों की आपूर्ति करने के लिए लाहौर, पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा में 'डंकी फार्म' बनाए गए हैं, तो पंजाब और लाहौर में खास गधों के लिए शानदार अस्पताल (Donkey Hospital) बनाया गया है. इस अस्पताल में गधों को तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए सारे इंतजाम हैं. मसलन टीकाकरण से लेकर ब्रीडिंग तक के इंतजाम यहां उपलब्ध हैं.

यह भी पढ़ेंः हाजीपुर सेक्टर में भारतीय सेना ने दो पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया, ये था कारण

चीन पाकिस्तानी गधों के लिए कर रहा करोड़ों के अनुबंध
पाकिस्तान के 'गधों' में चीन भी खासी दिलचस्पी ले रहा है. जियो टीवी के मुताबिक कई चीनी कंपनियों ने करोड़ों के अनुबंध को अंतिम रूप देने के लिए दिलचस्पी दिखाई है. विदेशी कंपनियों का अनुमान है कि आने वाले सालों में पाकिस्तान में 'डंकी फार्मिंग' (Donkey Farming) एक लाभदायी कारोबार बन जाएगा. इमरान सरकार को भी लग रहा है कि 'गधों के कारोबार' से लाखों पाकिस्तानियों का सामाजिक-आर्थिक विकास (Development) होगा. इसीलिए खैबर-पख्तूनख्वा समेत पंजाब औऱ लाहौर में बीते कई सालों से गधों का मेला आयोजित किया जा रहा है.

बादिन में चल रहा है गधों का मेला
इस साल भी पाकिस्‍तान के हैदराबाद (Hyderabad) शहर से 70 किमी दूर बादिन जिले में गधों का मेला लगाया गया है. पिछले 70 साल से यहां पर गधों का मेला आयोजित हो रहा है. इस मेले में हिस्‍सा लेने के लिए कराची, बादिन, थट्टा समेत सिंध के कई जिलों से व्‍यापारी आए हुए हैं. मेले में आ रहे ग्राहकों के लिए सबसे ज्‍यादा मजेदार इन गधों के नाम हैं. मेले में आए गधों का नाम एके-47, एफ-16, रॉकेट लांचर, परमाणु बम, माधुरी, शीला, दिल पसंद, पवन आदि रखे गए हैं. इस मेले में भूरे, सफेद, स्लेटी रंग के गधे मौजूद हैं.

यह भी पढ़ेंः युद्ध से बचना चाहते हो तो POK हमारे हवाले कर दो, रामदास अठावले ने पाकिस्‍तान को दी नसीहत

स्थानीय नस्ल के गधों की मांग ज्यादा
पाकिस्‍तानी अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक मेले में स्‍थानीय नस्‍ल (Local Donkey Breed) के गधे काफी पंसद किए जा रहे हैं. हालांकि गधों के बढ़े हुए दाम की वजह से खरीदार कम गधे खरीद रहे हैं. इस मेले में 20 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक के गधे मिल रहे हैं. यह पूरा मेला करीब 4 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है. हालांकि मेले में शिरकत करने आए कुछ ग्राहकों की शिकायत है कि बड़े शहरों से दूरी होने की वजह से उन्‍हें यहां आने में परेशानी हुई है.

55 हजार किलो से बिकती है गधे की खाल से बनी दवा
गौरतलब है कि पाकिस्तान बड़े पैमाने पर चीन को गधे का निर्यात करेगा. इन गधों से चीन में परंपरागत दवाइयां तैयार की जाएंगी. गधे की खाल से बनी दवा को चीन में इम्‍यून सिस्‍टम (Immunity System) को मजबूत करने और खून बढ़ाने वाला माना जाता है. इनमें भी सबसे लोकप्रिय दवा 'इजियाओ' है. सन् 2001 में एक किलोग्राम इजियाओ (Ejiao) की कीमत लगभग 1400 रुपए थी जो अब बढ़कर 55 हजार रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी है.

यह भी पढ़ेंः इमरान खान जैसी हो गई है PCB की हालत, श्रीलंका दौरे को लेकर सरफराज अहमद ने दिया ये बयान

35 से 55 हजार रुपए है गधे की कीमत
पाकिस्तान में 'गधों' के दिन 'फिरने' से उनकी ब्रीडिंग और फार्मिंग से जुड़े लोगों में खुशी की लहर देखी जा सकती है. बादिन में चल रहे गधों के मेले में शिरकत करने आए व्यापारियों के मुताबिक एक अच्छी नस्ल का गधा 35 से 55 हजार रुपए में मिल जाता है, जो हर रोज लगभग एक हजार रूपए की कमाई करके देता है. अमूमन 4 साल का होते-होते एक गधा 'कमाऊ' (Employable) हो जाता है और 12 साल तक अपने मालिक की 'सेवा' करने में सक्षम रहता है.

एक समय लगाया गया था प्रतिबंध
गौरतलब है कि एक समय गधों की जनसंख्या का नियंत्रित करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने खास कदम उठाए थे. 2015 में वित्त मंत्री इशआक डार ने गधों की खाल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. वजह यह थी कि होने वाले 'मोटे मुनाफे' के लालच में गधों की खाल का निर्यात काफी बढ़ गया था. गधों को उनकी खाल और मांस के लिए बहुतायत की संख्या में हर रोज मारा जाने लगा था. ऐसे में 'गधों की प्रजाति' को बचाए रखने के लिए गधों की खाल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे अब हटा लिया गया है.

यह भी पढ़ेंः पाकिस्‍तान में अब हिन्‍दू नाबालिग लड़की का अपहरण, जबरन करा दिया निकाह

गधों के निर्यात से आर्थिक कंगाली दूर करेगा पाकिस्तान
इस प्रतिबंध को हटाए जाने की वजह भी सीधी सी है पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान को लग रहा है कि देश की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति (Kangal Pakistan) को दुरुस्त करने में गधों का निर्यात काफी मदद कर सकता है. अब ऐसी सोच पर बलिहारी जाने वाले अंदाज में कहा जा सकता है कि अपनी उन्नति के लिए गधों पर निर्भर पाकिस्तान कश्मीर के मसले पर भारत को न सिर्फ आंखें तरेर रहा है, बल्कि परमाणु युद्ध तक की धमकी दे रहा है.