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गलत भी साबित हुए हैं एक्जिट पोल, 2004 और 2014 में हुआ भारी उलट-फेर

अगर 2020 में एक बार फिर एक्जिट पोल गलत साबित हो जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. 2004 और 2014 के लोकसभा चुनाव के एक्जिट पोल वास्तविकता से काफी दूर रहे.

Updated on: 11 Feb 2020, 08:23 AM

highlights

  • 2004 और 2014 लोकसभा चुनाव के एक्जिट पोल वास्तविकता से दूर रहे.
  • एनडीए के शाइनिंग इंडिया अभियान से प्रभावित थे क्जिट पोल.
  • इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी है आश्वस्त.

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Results 2020) के लिए 8 फरवरी को हुए मतदान (Voting) के बाद देर शाम को आए एक्जिट पोल दिल्ली के सिंहासन पर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की ही तीसरी बार वापसी दिखा रहे हैं. लगभग सभी ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को बहुमत के पार दिखाया है. यह अलग बात है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) इन सभी एक्जिट पोल (Exit Poll) को खारिज कर सरकार बनाने का दावा कर रही है. ऐसे में अगर 2020 में एक बार फिर एक्जिट पोल गलत साबित हो जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. 2004 और 2014 के लोकसभा चुनाव के एक्जिट पोल वास्तविकता से काफी दूर रहे. 2014 में केवल चाणक्य का एग्जिट पोल ही वास्तविक परिणाम के करीब रहा. वैसे हर एग्जिट पोल को 5 फीसदी कम या ज्यादा के तौर पर लेकर चला जाता है.

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2004 और 2014 के उदाहरण
2004 में जब सारे एग्जिट पोल एनडीए (NDA) को 248 से 290 के बीच दिखा रहे थे तब उसे केवल 159 सीटें मिली थीं. इससे साफ है कि लोगों ने पांच साल की अटल बिहारी वाजपेयी नीत (Atal Bihari Vajpayee) एनडीए के शाइनिंग इंडिया (Shining India) अभियान से प्रभावित थे, लेकिन आम जनता का मूड उसके उलट निकला. वहीं 2014 में जब एग्जिट पोल एनडीए को 280-290 के इर्दगिर्द ही रखे हुए थे, तब वह 336 पर जा पहुंची. हालांकि चाणक्य ने 340 सीटें दी थी, जो कि वास्तविकता के करीब रहा. 2014 का चुनाव ऐसे हालात में हुए थे, जब केंद्र में दस साल की यूपीए (UPA) सरकार रह चुकी थी, जिसके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के साथ ही आए दिन भ्रष्टाचार (Corruption) के मामले लगातार निकल कर सामने आ रहे थे.

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1998 में रहे थे करीब
इसके पहले 1998 का लोकसभा चुनाव तब हुआ था, जब केंद्र में दो साल के भीतर तीन प्रधानमंत्री बन चुके थे. आर्थिक स्थिति उस हालत में पहुंच गई थी कि देश का सोना भी गिरवी रखना पड़ा था. उस वक्त ज्यादातर एक्जिट पोल में भाजपा गठबंधन को 214 से 249 सीटें दिखाया था जो वास्तविक परिणाम 252 के करीब ही रहा. 1999 में भी एग्जिट पोल एनडीए को 300 से 336 दिखा रहे थे और वास्तविक परिणाम 296 में रहा था. तब क्षेत्रीय दलों के समर्थन से भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनाई थी. हालांकि एआईएडीएमके समर्थन वापस ले लेने के कारण वाजपेयी सरकार 13 महीने में ही गिर गई थी और एक बार फिर देश चुनाव में झोक दिया गया था.

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दिल्ली और एक्जिट पोल
दिल्ली के मद्देनजर हम पिछले कुछ रिकॉर्ड्स देख लेते हैं. 2013 और 2015 में आम आदमी पार्टी को कम सीटें मिली थीं. साल 2013 में कुछ Exit Polls में किसी को बहुमत मिलता दिखाई नहीं दिया था. जबकि कुछ Exit Polls में बीजेपी को बहुमत दिया गया था. हालांकि नतीजों में किसी को बहुमत नहीं मिला. वहीं बात अगर साल 2015 के Exit Polls की करें तो आम आदमी पार्टी को बहुमत मिलते तो दिखाया गया था लेकिन सीटें केवल 35 से 45 दी थी, लेकिन पार्टी को नतीजों में 67 सीटें मिली. वहीं ज्यादातर Exit Polls में बीजेपी की सीटें दहाई के आंकड़े को पार करती हुई दिख रही थी. हालांकि नतीजों में बीजेपी को सिर्फ 3 सीटों पर ही जीत मिली. वहीं कांग्रेस का खाता नहीं खुला.