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चीन ने दुनिया को किया गुमराह, ऐसे फैलाया ‘किलर वायरस’,जानें तारीख दर तारीख

अगर चीन ने इस वायरस की शुरुआत के समय ही ज्यादा पारदर्शिता बरती होती तो कोरोना के कहर को काफी हद तक कम किया जा सकता था.

Updated on: 16 Apr 2020, 08:46 PM

नई दिल्ली:

चीन से निकला खतरनाक कोरोना वायरस (Coronavirus) पूरी दुनिया को अपनी जद में ले चुका है. चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर से शुरू हुए इस किलर वायरस से अब तक लाखों लोगों को संक्रमित कर चुका है. ऐसे में ये खुलासा हुआ है कि अगर चीन ने इस वायरस की शुरुआत के समय ही ज्यादा पारदर्शिता बरती होती तो कोरोना के कहर को काफी हद तक कम किया जा सकता था.

1 दिसंबर को वुहान में आया था पहला केस

अमेरिकी मैगजीन नेशनल रिव्यूम में छपे लेख के मुताबिक चीन ने कोरोना से जंग के लिए जरूरी आंकड़े दुनिया से छिपाकर रखे जिससे ये लड़ाई अब बहुत मुश्किल हो गई है.
पिछले साल एक दिसंबर को ही चीन के वुहान में कोरोना का पहला केस सामने आ गया था और पांच दिन बाद मरीज की पत्नी भी वायरस से संक्रमित हो गई. मतलब साफ था कि ये वायरस इंसान से इंसान में फैल रहा था पर चीन ने ये हकीकत दुनिया से छिपा ली. यहां तक कि जब 25 दिसंबर को चीन के दो मेडिकल स्टाफ में कोरोना के लक्षण मिले तो ये पुख्ता हो चुका था कि वायरस इंसान से इंसान में तेजी से फैल रहा है. बावजूद इसके चीन ने दुनिया को ये सच नहीं बताया.

31 दिसंबर को वुहान के हेल्थ कमीशन ने कहा इंसान से इंसान नहीं फैलता है वायरस

कोरोना वायरस का खुलासा करने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग ने चीनी डॉक्टरों के एक समूह को चेतावनी दी थी कि ये सार्स से भी खतरनाक हो सकता है इसलिए बचाव के लिए फौरन कदम उठाए जाएं. बावजूद इसके 31 दिसंबर को वुहान के हेल्थ कमीशन ने ये घोषित कर दिया कि ये वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैलता है, जिससे हालात और खराब होते चले गए.

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चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन को सबूत मिटाने के दिए थे आदेश

चीन ने इस तरह के मामले सामने आने के 3 सप्तााह बाद  विश्व स्वास्थ संगठन को इसके बारे में बताया. इसके बाद डॉक्टर ली को वुहान के पब्लिक सिक्यॉरिटी ब्यूरो बुलाया गया और उन पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया गया. इतना ही नहीं चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने आदेश दिया कि इस बीमारी के बारे में कोई भी सूचना सार्वजनिक नहीं की जाए और उसी दिन हुबेई के प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग ने वुहान के सारे नमूनों को नष्ट कर दिया जाए.

चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने 6 जनवरी को बोला झूठ

न्यूयॉर्क टाइम्स ने 6 जनवरी को अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि वुहान में 59 लोग न्यूटमोनिया जैसी बीमारी से पीड़ित हैं इसके बाद भी चीन ने लेवल-वन की यात्रा निगरानी जारी करते हुए लोगों को सिर्फ इतनी हिदायत दी कि वे वुहान में जिंदा या मरे हुए जानवरों, जानवरों के बाजारों और बीमार लोगों से दूर रहें. इसके बाद 8 जनवरी को चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोरोना वायरस की पहचान का दावा करते हुए कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये वायरस इंसान से इंसान में फैल रहा है.

 डॉक्टर ली को संक्रमण के बाद 12 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया

कोरोना वायरस का पता लगाने वाले डॉक्टर ली को संक्रमण के बाद 12 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालत खराब होने पर उन्हें आईसीयू में ले जाया गया. फिर 13 जनवरी को पहली बार चीन से बाहर कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला थाईलैंड में सामने आया. उस मरीज ने वुहान की यात्रा की थी. 14 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैलता है लेकिन 15 जनवरी को वुहान के हेल्थ कमीशन ने कहा कि इंसान से इंसान में कोरोना वायरस के जाने की सीमित संभावना है. बावजूद इसके वुहान में भीड़ को जुटने दिया गया.

 19 जनवरी को चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने बताया सच

आखिरकार 19 जनवरी को चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने ऐलान किया कि कोरोना वायरस के इंसान से इंसान में फैलने के दो मामले सामने आए हैं. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. तब तक चीन के वुहान से निकला ये वायरस पूरी दुनिया में फैल चुका था. इसलिए अमेरिका समेत कई देशों ने कोरोना वायरस पर दुनिया को गुमराह करने के लिए चीन को आड़े हाथों लिया. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर चीन ने चीन ने इस खतरे के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी होती तो अमेरिका समेत पूरा विश्व इसके लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार होता.

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अमेरिका समेत यूरोप में बिगड़ रहे हालात

दरअसल चीन के वुहान से निकला कोरोना वायरस ईरान, इटली और स्पेन में कोहराम मचाने के बाद अब अमेरिका का हाल बेहाल कर रखा है. अमेरिका में हालत इतने बेकाबू हो चुके हैं कि वहां हर तीन मिनट में एक नया मामला सामने आ रहा है. अमेरिका में कोरोना संक्रमितों की संख्या एक लाख से ऊपर पहुंच गई है.