logo-image

CAB के बहाने कांग्रेस ने बो दिए उद्धव ठाकरे की राह में कांटे, मंत्रिमंडल बंटवारे में फंसा पेंच

महाराष्ट्र की राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वाले उद्धव ठाकरे को कर्नाटक के कुमारस्वामी के 'दूसरे अवतार' बतौर देख रहे हैं.

Updated on: 12 Dec 2019, 02:44 PM

highlights

  • नागरिकता संशोधन विधेयक पर शिवसेना के रुख से कांग्रेस आलाकमान की नजरें टेढ़ीं.
  • अब ठाकरे सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में डिप्टी सीएम और गृह मंत्रालय मांगा.
  • राजनीतिक पंडितों ने उद्धव ठाकरे को सूबाई राजनीति का अगला 'कुमारस्वामी' बताया.

New Delhi:

नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) संसद के दोनों सदनों में पास हो गया. लोकसभा के बाद राज्यसभा में गर्मागर्म बहस के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों और शंकाओं का सिलसिलेवार जवाब देते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना को खासतौर पर निशाना बनाया. हालांकि शिवसेना का राज्यसभा में CAB पर यू-टर्न महाराष्ट्र में शिवसेना नीत कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार की मजबूरियों को प्रदर्शित करता है. अगर सूत्रों की मानें तो लोकसभा में कैब विधेयक को शिवसेना के समर्थन के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर कांग्रेस आलाकमान की त्योरियां चढ़ गई हैं. इस वजह से महत्वपूर्ण मंत्रालयों के बंटवारे की बेल अब और विलंब से मुंडेर पर चढ़ सकेगी. कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर महाराष्ट्र कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने शिवसेना को इस बात के संकेत भी दे दिए हैं कि अब मंत्रालयों का बंटवारा विधानसभा में पार्टी विधायकों की संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि जरूरत के हिसाब से होगा. इस बीच संकेत मिले हैं कि देवेंद्र फडणवीस की तीन दिन के कार्यकाल वाली दूसरी सरकार में डिप्टी सीएम बतौर शपथ लेने वाले अजित पवार को महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार में वित्त मंत्रालय मिल सकता है, तो एनसीपी के जयंत पाटिल को डिप्टी सीएम के पद समेत गृह मंत्रालय दिया जा सकता है. संकेत मिल रहे हैं कि CAB विधेयक पर शिवसेना के रुख के बाद कांग्रेस ने डिप्टी सीएम समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर अपना दावा ठोंक दिया है.

यह भी पढ़ेंः नागरिकता संशोधन बिल पर North-East में उग्र हुआ प्रदर्शन, असम CM ने कही ये बात

शिवसेना के लोकसभा में रुख से महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार की अड़चन बढ़ी
इस बात की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी कि कांग्रेस-एनसीपी के साथ बनी शिवसेना की बेमेल गठबंधन वाली सरकार की अग्नि परीक्षा कई अवसरों पर होगी. इसमें भी इस बात को लेकर कयास अधिक थे कि हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दे खासकर नागरिकता संशोधन विधेयक और समान नागरिकता संहिता पर शिवसेना का रुख क्या रहेगा. ये वे मसले हैं जिन पर शिवसेना सुप्रीमो और संस्थापक बाला साहब ठाकरे के विचार राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और बीजेपी से एकदम मिलते थे. ऐसे में कांग्रेस के दबाव के बावजूद शिवसेना ने लोकसभा में तो नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन दे दिया, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह की भाषा में 'रातों रात न जाने क्या हुआ कि राज्यसभा में शिवसेना के सुर बदल गए'. नतीजतन राज्य सभा में तीन सांसदों वाली शिवसेना ने सदन से वॉकऑउट कर दिया. हालांकि फ्लोर मैनजमेंट की कुशल व्यवस्था के चलते बीजेपी को कैब विधेयक राज्यसभा में पास कराने में कोई दिक्कत नहीं आई. हालांकि इस नए घटनाक्रम से महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार की राह में अड़चन और बढ़ा दी है.

यह भी पढ़ेंः CAB पर पीएम मोदी का विपक्ष पर वार- ये North-East में आग लगाने की कोशिश कर रहे

शिवसेना से नाराज कांग्रेस ने महाराष्ट्र में फंसाया पेंच
पहले दिन से ही कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन महाराष्ट्र विकास अघाड़ी में महत्वपूर्ण मंत्रालयों को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है. हालांकि ऊपरी तौर पर तीनों ही दलों के नेता सब कुछ ठीक होने की बात कह रहे हैं, लेकिन मसला हर गुजरते दिन के साथ पेचीदा होता जा रहा है. पहले पहल कांग्रेस डिप्टी सीएम और स्पीकर पद पर अड़ी थी. जैसे-तैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले के नाम पर स्पीकर पद के लिए सहमति बनी. बताया गया कि कांग्रेस ने डिप्टी सीएम की जिद छोड़ दी. हालांकि अब शिवसेना के नागरिकता संशोधन विधेयक पर रुख बदलने से कांग्रेस आलाकमान की भवें टेढ़ी हो गई हैं. इसीलिए कांग्रेस ने नए सिरे से डिप्टी सीएम समेत वित्त या गृह मंत्रालय मांग रही है. इसके अलावा गठबंधन सरकार में 44 विधायकों वाली कांग्रेस ने रेवेन्यू, एनर्जी, एजुकेशन और पीडब्ल्यूडी जैसे विभागों पर भी दावा ठोक दिया है. सूत्रों के मुताबिक शिवसेना गृह समेत शहरी विकास मंत्रालय, तो दूसरे नंबर की पार्टी एनसीपी इरीगेशन, हाउसिंग और फाइनेंस पर राजी हो गई थी. अब कांग्रेस ने शिवसेना के रुख से आहत होकर नया पेंच फंसा दिया है. इस पर कांग्रेस आलाकमान ने सवाल खड़े कर उद्धव ठाकरे नीत सरकार के लिए 'सिरदर्द' बढ़ा दिया है. नियमों के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार हद से हद 43 मंत्रियों वाला मंत्रिमंडल ही गठित कर सकती है. राह में बिछे रोड़ों को देखते हुए ही मंत्रिमंडल विस्तार महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के खात्मे के बाद यानी 21 दिसंबर के बाद ही आकार ले सकेगा.

यह भी पढ़ेंः नागरिकता संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, मुस्‍लिम लीग ने दायर की याचिका

कहीं महाराष्ट्र के कुमारस्वामी तो नहीं बनने जा रहे उद्धव
महाराष्ट्र की राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वाले उद्धव ठाकरे को कर्नाटक के कुमारस्वामी के 'दूसरे अवतार' बतौर देख रहे हैं. उन्होंने भी ढके-छिपे शब्दों में कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर शिवसेना के रुख ने स्थितियां गंभीर कर दी है. शुरुआत में तय हुआ था कि 56 सदस्यीय शिवसेना के 10 मंत्री होने थे, 54 सदस्यीय एनसीपी को 7 और डिप्टी सीएम पद, जबकि 44 सदस्यीय कंग्रेस को 6 मंत्री पद दिए जाने थे. कांग्रेस स्पीकर पद पर पहले ही राजी हो चुकी थी. इसी तय फॉर्मूले के तहत एनसीपी के जयंत पाटिल डिप्टी सीएम और गृह मंत्रालय संभाल सकते हैं. अजित पवार को वित्त मंत्रालय मिल सकता है. अब बदले घटनाक्रम में कांग्रेस ने डिप्टी सीएम और गृह मंत्रालय पर दावा किया है. हालांकि कांग्रेस आलाकमान इस बात पर सहमत है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण पीडब्ल्यूडी और ऊर्जा मंत्रालय देना सही है. हालांकि सूबे के कई कांग्रेसी नेता इस पर सहमत नहीं हैं और वह पोर्टफोलियो वितरण में कांग्रेस आलाकमान से दखल देने की मांग कर रहे हैं. इससे बाखबर उद्धव ठाकरे गठबंधन सरकार में संतुलन साधने की कवायद के तहतपहली बार में ही सभी महत्वपूर्ण विभागों का बंटवारा नहीं करेंगे, बल्कि कुछ को भविष्य की 'सौदेबाजी' के लिए अपने पास ही रोक कर रखेंगे.