महाराष्ट्र में टूट कर आने वाले नेताओं को ही बीजेपी ने दी 'तोड़-फोड़' मचाने की जिम्मेदारी
देवेंद्र फडणवीस सरकार की राह आसान करने के लिए बीजेपी आलाकमान ने दूसरे दलों से 'टूट' कर आए नेताओं पर ही एनसीपी-शिवसेना के विधायकों को 'तोड़ने' का दारोमदार सौंपा है. इनमें से कुछ को राष्ट्रीय स्वयं सेवक का आशीर्वाद भी प्राप्त है.
highlights
- बीजेपी आलाकमान ने टूट कर आए नेताओं को सौंपी समर्थन जुटाने की जिम्मेदारी.
- फ्लोर टेस्ट के दिन सदन से गायब रहने को भी राजी किया जा रहा कुछ विधायकों को.
- बीजेपी को विश्वास मत हासिल करने की अपनी गणित पर है पूरी तरह से आश्वस्त.
Mumbai:
महाराष्ट्र में सरकार गठन के दावों-प्रतिदावों के बीच कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना और इधर बीजेपी-एनसीपी (अजित धड़ा) अपने-अपने पास जादुई आंकड़ा होने का दम भर रहे हैं. इस कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भी फ्लोर टेस्ट को लेकर अपना निर्णय मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे तक सुरक्षित रख लिया है. रोचक बात यह है कि दोनों ही पक्ष फ्लोर टेस्ट में अपनी-अपनी जीत के न सिर्फ दावे कर रहे हैं, बल्कि पूरी तरह से आश्वस्त भी हैं. एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना ने तो मंगलवार को राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के समक्ष 162 विधायकों का दावा भी पेश कर दिया. इधर अजित पवार ने भी खुद को ही एनसीपी का बताते हुए फ्लोर टेस्ट 'आराम' से पास करने की हुंकार भरी है. पता चला है कि देवेंद्र फडणवीस सरकार की राह आसान करने के लिए बीजेपी आलाकमान ने दूसरे दलों से 'टूट' कर आए नेताओं पर ही एनसीपी-शिवसेना के विधायकों को 'तोड़ने' का दारोमदार सौंपा है. इनमें से कुछ को राष्ट्रीय स्वयं सेवक का आशीर्वाद भी प्राप्त है.
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टूट कर आए नेताओं को ही सौंपी विधायक तोड़ने की जिम्मेदारी
फिलवक्त बीजेपी महाराष्ट्र में 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है. उसे 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत का 145 नंबर हासिल करने के लिए 40 और विधायकों के समर्थन की दरकार है. बीजेपी के भीतरखाने से जुड़े नेताओं को पूरा विश्वास है कि अजित पवार के समर्थन से देवेंद्र फडणवीस सरकार आसानी से फ्लोर टेस्ट हासिल कर लेगी. बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने के लिए बीजेपी ने 'ऑपरेशन लोटस' छेड़ा है. दूसरे खेमों से विधायकों को लाने की जिम्मेदारी चार वरिष्ठ नेताओं राधाकृष्ण विखे पाटिल, गणेश नाइक, बबनराव पचपुते और नारायण राणे को सौंपी गई है. गौरतलब है कि उक्त चारों नेता ही विपक्षी खेमों से बीजेपी में शामिल हुए हैं. विखे-पाटिल और राणे जहां कांग्रेस से आए हैं, वहीं पंचपुते एनसीपी से बीजेपी में शामिल हुए हैं. बीजेपी आलाकमान का मानना है कि अपनी-अपनी मूल पार्टियों के कुछ विधायकों से उनके 'नजदीकी संबंध' और अन्य छोटी पार्टियों के विधायकों से संपर्क फ्लोर टेस्ट के दौरान काम आएंगे.
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शह औऱ मात की बिसात पर चालें शुरू
शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करने के साथ ही बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी से अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उस वक्त बीजेपी ने 105 और अजित पवार ने 54 एनसीपी विधायकों का समर्थन प्रत्र सौंपा था. इसके साथ ही बीजेपी ने यह दावा भी किया था कि उसे 14 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है. इसके बाद हालांकि शनिवार देर शाम को अजित पवार को एनसीपी विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया और जयंत पाटिल को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई. यह अलग बात है कि इसकी संवैधानिक और कानूनी काट के लिए बीजेपी के आशीष शेलार जैसे नेता विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करने में जुट गए थे. विशेषज्ञों से प्राप्त कानूनी-संवैधानिक जानकारी के आधार पर ही आशीष शेलार ने बाद में बयान जारी कर अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाए जाने को असंवैधानिक करार दिया था. हालांकि दल-बदल कानून से बचने के लिए यह जरूरी है कि एनसीपी को 'एक' दिखाया जाए. इस कड़ी में अजित पवार का ट्वीट गौर करने वाला है, जिसमें उन्होंने खुद को एनसीपी नेता बताते हुए शरद पवार के नेतृत्व में पूरा विश्वास जताया था.
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मत दो समर्थन, लेकिन गायब हो जाओ
'ऑपरेशन लोटस' के तहत दूसरे दलों से टूट कर आए नेता तो अपनी बिसात बिछा ही चुके हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि ऐन मौके कानूनी और संवैधानिक अड़चनों से बचने के लिए बीजेपी अन्य दलों के चुनिंदा विधायकों के संपर्क में भी है. इसका मकसद उनकी मान-मनौव्वल कर फ्लोर टेस्ट में मतदान के दौरान उन्हें अनुपस्थित रहने को तैयार करना है. अन्य पार्टियों के विधायकों को अनुपस्थित रहने के लिए मना कर बीजेपी सदन में बहुमत के जादुई आंकड़े 145 को और कम करना चाहती है. गौरतलब है कि 2014 में बीजेपी ने 122 विधायकों के दम पर ही सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया था. उस साल 41 विधायकों वाली एनसीपी विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रही थी. परिणामस्वरूप बहुमत के लिए महज 128 विधायकों की ही जरूरत रह गई थी और बीजेपी ने 6 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से इसे हासिल कर लिया था.
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बीजेपी को इस गणित पर है पूरा भरोसा
हालिया गणित की बात करें तो रविवार को बीजेपी की दादर स्थित कार्यालय में बैठक हुई थी. इसमें नवनियुक्त बीजेपी विधायकों ने देवेंद्र फडणवीस सरकार को समर्थन देने के लिए अजित पवार नीत एनसीपी धड़े को तहेदिल से धन्यवाद ज्ञापित किया. साथ ही बैठक में उपस्थित नेताओं ने विश्वास जताया था कि देवेंद्र फडणवीस नीत सरकार आसानी से विश्वास मत हासिल कर लेगी. गौरतलब है कि बैठक के तुरंत बाद ही आशीष शेलार ने बयान जारी कर 170 विधायकों का समर्थन होने की बात कही थी. बीजेपी कोर टीम के सदस्य और बीजेपी के वरिष्ठ नेता का भी कुछ ऐसा ही मानना है. उनके मुताबिक बीजेपी के 105 विधायक हैं. इसके अतिरिक्त अजित पवार के विश्वसनीय 28 से 30 विधायकों का समर्थन भी बीजेपी को मिल जाएगा. 13 निर्दलीय समेत बीजेपी के बागी 9 विधायकों का समर्थन भी बीजेपी को मिलना तय माना जा रहा है. छोटी पार्टियों में से कुछ भी बीजेपी की सरकार को पक्ष में आ सकती हैं. ऐसे में इसी गणित के आधार पर देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार फ्लोर टेस्ट को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं.
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