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क्या है Hyperloop technique? इस तरह से करता है काम

हाइपरलूप तकनीक का आईडिया टेस्ला मोटर्स इलोन मस्क के कंपनी के सीईओ और सह-संस्थापक को 2013 में आया था.

Updated on: 03 Aug 2019, 03:37 PM

highlights

  • महाराष्ट्र सरकार ने दिया प्रोजेक्ट को मंजूरी.
  • मुंबई से चेन्नई- 1,102 किलोमीटर- 50 मिनट में पहुंचाएगी.
  • बुलेट ट्रेन की रफ्तार से भी दोगुनी तेजी से चलेगी ये ट्रेन.

नई दिल्ली:

जरा सोचिए अगर कोई ऐसी तकनीक हो जिससे आप कुछ ही मिनट में दिल्ली और मुंबई पहुंच जाएं, वहीं मानिए कुछ 60-70 मिनट में. क्या सच में ऐसा हो सकता है? दुनिया में क्या कोई ऐसी ट्रेन बन चुकी है? सुनने में तो ऐसा ही लगता है कि यह एक फेक न्यूज है या कोई आपसे मजाक कर रहा है लेकिन जल्द ही ये बात भारत में सच होने जा रही है. हम बात कर रहे हैं हाइपरलूप प्रोजेक्ट की.
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने इस तकनीक को अपनाने के लिए मंजूरी दे दी है. हाइपरलूप तकनीक का आईडिया टेस्ला मोटर्स इलोन मस्क के कंपनी के सीईओ और सह-संस्थापक को 2013 में आया था. कंपनी के सूत्रों से खबर ये आ रही है कि इसका किराया हवाई जहाज के किराए से भी कम होगा.

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कैसी होगी ट्रेन
एक स्टील ट्यूब में हवा के प्रेशर के नियंत्रण से यात्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाएगा. इसमें ट्यूब के भीतर एक पॉड होगा जो हवा के दबाव से चलेगा. इस पॉड में 24 लग्जरी सीट या फिर 50 बिजनेस क्लास, या फिर 80-90 इकोनोमी क्लास की सीटें होंगी. कहा जा रहा है कि यह पॉड करीब 1080 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेंगे.
क्या होती है हाइपरलूप तकनीक
सामान्य भाषा में एक मैग्नेटिक ट्रैक बनाया जाता है जिसपर वैक्यूम जेनेरेट किया जाएगा जिससे ये ट्रेन काफी तेजी से एक जगह से दूसरी जगह जा सकेंगी.
ये तकनीक कैसे काम करेगी – इस तकनीक में विशेष प्रकार से डिजाइन किये गए कैप्सूल या पॉड्स का प्रयोग किया जाएगा। इन कैप्सूल्स और पॉड्स को एक पारदर्शी ट्यूब पाइप के भीतर उच्च वेग से संचालित किया जाएगा।

परिवहन की इस तकनीक में बड़े-बड़े पाइपों के अंदर वैक्यूम जैसा माहौल तैयार किया जाएगा और वायु की अनुपस्थिति में पोड जैसे वाहन में बैठकर 1000-1300 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से यात्रा की जा सकेगी।

इस परिवहन तकनीक में पॉड्स को ज़मीन के ऊपर बड़े-बड़े पाइपों में इलेक्ट्रिकल चुम्बक पर चलाया जायेगा और चुम्बकीय प्रभाव से ये पॉड्स ट्रैक से कुछ ऊपर उठ जाएंगे जिससे गति ज़्यादा हो जाएगी और घर्षण कम।

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इसमें प्रतिरोध और घर्षण पैदा करने वाली चीज़ों का अभाव होगा जिससे इसकी गति तेज़ होने में मदद मिलेगी।

क्या है तेज चलने का राज
इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत है बुलेट ट्रेन से भी दोगुनी रफ्तार से चलना. यह ट्रेन चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड (ट्रैक) पर चलेगी. यह ट्रेन वैक्यूम (बिना हवा) ट्यूब सिस्टम से गुजरने वाली कैप्सूल जैसी हाइपरलूप लगभग 1200 किमीप्रति घंटे की रफ़्तार से एक जगह से दूसरी जगह पर जा सकेंगे.

कहां-कहां चलेगी ये ट्रेन
मुंबई से चेन्नई- 1,102 किलोमीटर- 50 मिनट में पहुंचाएगी.
दिल्ली से जयपुर और इंदौर से होते हुए मुंबई- 1,317 किलोमीटर- 55 मिनट में पहुंचाएगी.
बैंगलुरु से तिरुवनंतपुरम- 736 किलोमीटर- 41 मिनट में पहुंचाएगी.