नासा की महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने रचा इतिहास, किया ये बड़ा कारनामा
दोनों यात्री अंतरिक्ष केंद्र की खराब हो चुकी बैटरी चार्ज और डिचार्ज यूनिट को बदलने के दोनों ही महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरराष्ट्रीय समयानुसार सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र से बाहर निकलीं.
highlights
- नासा की अंतरिक्ष यात्रियों ने रचा इतिहास.
- कर दिखाया ऐसा कारानामा जिसे करने में पुरूष भी डरते हैं.
- इन दोनों ही महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने एक साथ ‘स्पेसवॉक’ कर इतिहास रच दिया.
नई दिल्ली:
NASA's Success: अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री (Astronauts) क्रिस्टीना कोच (Christina Koch) और जेसिका मीर (Jessica Meir) ने शुक्रवार को ऐसा कारनामा कर दिखाया जो आज तक कभी नहीं किया गया था. दरअसल, इन दोनों ही महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने एक साथ ‘स्पेसवॉक’ कर इतिहास रच दिया. आधी सदी में करीब 450 ‘स्पेसवॉक’ में ऐसा पहली बार हुआ, जब केवल महिलाओं ने ही अंतरिक्ष में चहल-कदमी की और उनके साथ कोई पुरुष अंतरिक्ष यात्री नहीं था.
दोनों यात्री अंतरिक्ष केंद्र की खराब हो चुकी बैटरी चार्ज और डिचार्ज यूनिट को बदलने के दोनों ही महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरराष्ट्रीय समयानुसार सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र से बाहर निकलीं.
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Today, history was made as @Astro_Jessica and @Astro_Christina successfully completed the first #AllWomanSpacewalk! For more than 7 hours, the duo worked in the vacuum of space to conduct @Space_Station maintenance. Get details: https://t.co/9y6Dq9OR7B. pic.twitter.com/2ZDXA2E5NE
— NASA (@NASA) October 18, 2019
दोनों महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने मिशन की शुरुआत अपने अंतरिक्ष सूट और सुरक्षा रस्सी की जांच से की. मिशन से कुछ मिनट पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रशासक जिम ब्रिडेस्टीन ने पत्रकारों के समाने इस मिशन के सांकेतिक महत्व को बताया.
जिम ने कहा, ‘‘ हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अंतरिक्ष सभी लोगों के लिए उपलब्ध है तथा उस विकास क्रम में यह एक और मील का पत्थर है.’’
क्रिस्टीन ने जवाब दिया कि मेरी 11 साल की बेटी है, मैं उसे उतने ही मौके मिलते देखना चाहता हूं जितने मुझे बड़े होने के दौरान मिले थे.
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उल्लेखनीय है कि इस मिशन को इस साल मार्च में ही पूरा होना था लेकिन नासा को यह स्थगित करना पड़ा क्योंकि उसके पास मध्यम आकार का एक ही स्पेस सूट था और जरूरी काम बाद के दिनों में एक पुरूष-महिला की जोड़ी करती थी. माना जाता रहा है कि नासा के अंदर पहले से ही पुरुषो का प्रभुत्व है लेकिन ये घटना नासा के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी.
आपको बता दें कि अंतरिक्ष केंद्र पूरी तरह से सौर उर्जा पर निर्भर करता है. अंतरिक्ष केंद्र में जहां सूरज की रौशनी नहीं पहुंचती है वहां बैटरी की जरूरत होती है. इसके पहले अमेरिका ने 1983 में अपनी पहली महिला अंतरिक्ष यात्री को भेजा था. हालांकि, पहली महिला अंतरिक्ष यात्री सोवियत संघ की वेलेंटीना तेरेश्कोवा हैं जिन्होंने 1963 में यह मुकाम हासिल किया था.
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