वैज्ञानिकों ने माना बिना बोले भी संभव है बातचीत, खुद किया टेस्ट
आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि ऐसा संभव है. एक ब्रेन दूसरे ब्रेन से संपर्क साध सकता है और हैरानी वाली बात ये है कि वैज्ञानिकों ने ऐसा करके दिखाया है
नई दिल्ली:
टेलीपैथी विज्ञान के लिए हमेशा से रिसर्च का रोचक विषय रहा है. हालांकि इसे लेकर बहुत ठोस तथ्य वैज्ञानिक भी नहीं दे पाए हैं भारतीय संस्कृति में पुराणों में ऐसे कई ज़िक्र मिलता है जिसमें ऋषि मुनि मानसिक स्तर पर एक दूसरे से संपर्क साधते थे पर एक समय में ऐसी बातों को कोरी कल्पना माना जाता था. पर अब आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि ऐसा संभव है. एक ब्रेन दूसरे ब्रेन से संपर्क साध सकता है और हैरानी वाली बात ये है कि वैज्ञानिकों ने ऐसा करके दिखाया है.
यह उसी टीवी सीरियल का हिस्सा है, जो साल 1997 में दूरदर्शन पर शुरू हुआ था. सीरियल का नाम था शक्तिमान. इस सीरियल में सुपरहीरो शक्तिमान एक दूसरे किरदार गीता से बिना बोले दिमाग के जरिए बातचीत करते हैं.
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आंखें बंद करके दोनों एक दूसरे से संवाद करते हैं. विज्ञान की भाषा में इसे टेलीपैथी कहते हैं. तब ये किसी अजूबे से कम नहीं लगता था. कुछ ऐसा जिस पर विज्ञान यकीन नहीं कर सकता था. लेकिन अब 20 साल बाद विज्ञान भी टेलीपैथी की बात मानने लगा है. विज्ञान का दावा है कि अब बिना बोले दो लोगों के बीच सीधे दिमाग से बातचीत हो सकती है. मतलब ये कि, आप अगर किसी को कुछ कहना चाहते हैं तो उसके दिमाग में सीधे संदेश भेज सकते हैं.
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अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा ही दावा किया है और इसको साबित करके भी दिखाया है. अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने साइंटिफिक रिपोर्ट्स नाम के जर्नल में अपनी रिसर्च छापी. रिसर्च में उन्होंने दावा किया कि तीन- तीन लोगों ने ब्रेन के जरिए बात की, इसको उन्होंने ब्रेननेट नाम दिया है.
वैज्ञानिकों ने टेट्रिस वीडियो गेम पर इसका परीक्षण किया. एक ऐसे आदमी को टेटरिस वीडियो गेम खेलने के लिए दिया गया जो खेलने में बहुत कमजोर था. अब उसकी मदद के लिए दो और लोगों को अलग जगह पर बैठाया गयाॉ. दोनों लोगों को गेम अच्छे से खेलना आता था इसलिए उन्होंने अपने दिमाग से ही संदेश भेजकर तीसरे आदमी को जीतने में मदद की.
इसके बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोई भी गेम या कोई भी प्रॉब्लम किसी एक इंसान से सॉल्व नहीं हो रही तो दूसरे दिमाग उसकी मदद कर सकते हैं. इसको आसान तरीके से इस तरह से समझिए कि अगर एक दफ्तर में जितने भी लोग काम करते हैं उनके दिमाग जोड़कर ब्रेननेट बनाया जा सकता है. इससे वो किसी एक समस्या का मिलकर समाधान ढूंढ सकते हैं.
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इस शोध ने दुनिया में तहलका मचा दिया है. अब ये भी समझ लीजिए कि ये होता कैसे है....
वैज्ञानिकों ने तीन लोगों अलग अलग जगह बैठाया. इनको हम A, B और C कह देते हैं.
A को टेट्रिस गेम खेलने को दिया..
B और C के सामने भी कंप्यूटर स्क्रीन लगाई गई जिस पर गेम चल रहा था.
B और C ने सिर पर एक खास कैप पहन रखी थी जिसको इलेक्ट्रोएनसेफोलॉग्राफी कहते हैं.
ये लोग जो भी सोच रहे थे वो संदेश इलेक्ट्रोएनसेफोलॉग्राफी कैप से पढ़ जा रहे थे और ये तीसरे आदमी A तक पहुंच रहे थे.
A ने भी सिर में इसी तरह की डिवाइस पहन रखी थी.
इस तरह से जुबान से कुछ कहे या कुछ इशारा किए सिर्फ दिमागों से ही बातचीत हो रही है. वैज्ञानिकों ने इस पर कई एक्सपेरिमेंट किए और हर बार सटीक निकले. अब वैज्ञानिकों इसको बड़े स्तर पर अमल में लाने के लिए कोशिश कर रहे हैं.
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