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पाकिस्‍तान के मंत्री फवाद चौधरी के दिमाग में भरा है मवाद, पाकिस्‍तानी भी लगा रहे लताड़

पाकिस्‍तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री चौधरी फ़वाद हुसैन (Fawad Hussain) ने ISRO के मिशन मून का खूब मजाक उड़ाया

नई दिल्‍ली:

चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) के लैंडर विक्रम (Lander Vikram) जब चांद की सतह से केवल 2.1 किलोमीटर पहले कहीं भटक गया तो पाकिस्‍तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री चौधरी फ़वाद हुसैन (Fawad Hussain) ने ISRO के मिशन मून का खूब मजाक उड़ाया. उनके दिमाग में भरा मवाद बाहर निकलने लगा. मिशन मून (Mission Moon) का मज़ाक उड़ाने के अंदाज में उन्‍होंने कई ट्वीट किए तो हिंदुस्‍तान के सोशल मीडिया यूजरों ने उन्‍हें खूब लताड़ लगाई. फवाद को लताड़ने में पाकिस्‍तानी भी पीछे नहीं रहे.

बता दें 7 सितंबर को चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) के लैंडर विक्रम (Lander Vikram) की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई. विक्रम से इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया. इसके बाद पाकिस्‍तान में #IndiaFail ट्रोल होने लगा. पाकिस्‍तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री चौधरी फ़वाद हुसैन (Fawad Hussain) भी पीछे नहीं रहे और उन्‍होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, "जो काम आता नहीं, पंगा नहीं लेते ना. डियर इंडिया" इसके बाद जहां भारतीय यूजरों ने उन्‍हें आड़े हाथों लिया वहीं पाकिस्‍तान के लोगों ने भी फवाद की जमकर लताड़ लगाई.

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पाकिस्‍तान के एक ब्‍लॉगर आतिफ ने इसरो के मिशन मून को जमकर सराहा. उन्‍होंने पाकिस्‍तान के मंत्री फवाद चौधरी को भी आड़े हाथों लिया. उन्‍होंने एक वीडियो जारी कर पाकिस्‍तान के हुक्‍मरानों को आईना दिखाया.  देखें Video 

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वहीं एक अन्‍य पाकिस्तानी ट्विटर यूज़र दानिका कमल ने लिखा, "हमारे पास मुश्किल से एक शहर से दूसरे शहर तक ले जाने के लिए एक एयरलाइन है. चांद तक जाने की बात तो भूल ही जाइए. अंकल अब आप बैठ जाइए."

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एस अली रज़ा बुख़ारी ने लिखा, "मुझे नहीं पता है कि हम लोग उनका मज़ाक क्यों उड़ा रहे हैं. उन्होंने कम से कम कोशिश तो की है. और वो इसमें सफल होने के काफ़ी करीब भी है. ये सिर्फ़ खराब किस्मत की बात थी. उन्हें कोशिश करने के लिए पूरे नंबर मिलने चाहिए."

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वहीं, एक पाकिस्तानी वकील ने ट्विटर पर लिखा है, "भारत के क्रैश मिशन की असफलता का मज़ाक उड़ाना कुछ ऐसा है कि स्थानीय यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ड्रॉपआउट से तुलना करें. हम मून तक जाने की रेस में भी नहीं हैं. हमें अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को विकसित करने की ज़रूरत है. नहीं, तो हमें आख़िर में शर्मसार होना पड़ेगा."

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इसके साथ ही एक अन्य छात्र मुहम्मद वसीम लिखते हैं, "ये हमारे साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर हैं जिनकी सोच है अंतरिक्ष में एक मिशन भेजना और चांद की कक्षा तक पहुंचना, पागलपन से भरा मिशन है और ये पैसे की बर्बादी है.

अल्ताफ़ बट्ट ने ट्वीट किया, "अल्लाह के लिए रुक जाइए, आप साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर हैं. भारत को उनका मून मिशन रोकने का लेक्चर देने की जगह आप उस तारीख़ की घोषणा कर सकते थे जब आप भारत से पहले चांद तक पहुंचेंगे. इसे एक अवसर की तरह लीजिए."

हम्माद अज़ीज बोले, "हम सभी उन्हें ट्रोल कर रहे हैं, जिनमें मैं भी शामिल हूं. लेकिन मंत्री जी, उन्होंने कोशिश तो की है और उनके अंदर अपनी असफलता स्वीकार करने का साहस तो है. मज़ाक की बात छोड़ दें तो ये इस कॉन्टिनेंट के लिए एक उपलब्धि है."

बता दें सोमवार को ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम (Lander Vikram) की थर्मल इमेज जारी की, तो उम्मीद और आशा की नई लहर दौड़ गई. अब नए सिरे से उम्मीद जगी है कि लैंडर विक्रम (Lander Vikram) न सिर्फ अपने पैरों पर वापस खड़ा हो सकता है, बल्कि वह सारे काम अंजाम दे सकता है जिसके लिए उसे बनाया गया है. इसरो के मुताबिक सॉफ्ट लैंडिंग के बजाय चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद विक्रम अपने दो पैरों यानी बीठ के बल ही गिरा हुआ है.

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इसके चारों तरफ अलग-अलग कामों को अंजाम देने के लिए उपकरण भेजे गए हैं, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद ही अपना काम शुरू करने वाले थे. चूंकि विक्रम अपने चारों पैरों पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका है, तो उसके उपकरणों को सिग्नल भेजना और वापस उन्हें संकेत देना ही चुनौतीपूर्ण है. इनमें से एक उपकरण है नासा का दिया हुआ 'लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर आरे', जो शीशों की मदद से चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने वाला था.