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भारत ही नहीं, अमेरिका, रूस सहित इन देशों के भी मिशन हुए हैं फेल

इससे पहले 8 देशों ने चांद पर पहुंचने की कोशिश की थी. करीब 9 तरीकों से चांद के रहस्यों से परदा हटाने की कोशिश की. सबसे ज्यादा 45 प्रयास ऑर्बिटर के थे.

Updated on: 07 Sep 2019, 01:22 PM

नई दिल्‍ली:

चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई. इसरो के चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर का अंतिम समय में संपर्क टूट गया. चंदा मामा को छूने की हमारी आकांक्षाएं पूरा होते-होते टल गईं. हालांकि यह मिशन अभी पूरी तरह असफल नहीं हुआ है. हमारा ऑर्बिटर अब भी चांद का चक्‍कर लगा रहा है. इससे पहले 8 देशों ने चांद पर पहुंचने की कोशिश की थी. करीब 9 तरीकों से चांद के रहस्यों से परदा हटाने की कोशिश की. सबसे ज्यादा 45 प्रयास ऑर्बिटर के थे.

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अमेरिका और रूस ने 17 अगस्त 1958 से लेकर 12 सितंबर 1959 तक 10 प्रयास किए थे. 11वें प्रयास में दोनों सफल हुए थे. चांद पर पहुंचने के मामले में अमेरिका की सफलता दर 71.92 फीसदी रही, जबकि, रूस केवल 33.92 प्रतिशत ही सफल रहा. भारत और यूरोप ने दो मिशन चांद पर भेजे, जिसकी सफलता दर 100 फीसद रही. दूसरी ओर, चीन को सभी 9 मिशन में सफलता हाथ लगी थी.

किसको कितने प्रयास में मिली सफलताएं

  • अमेरिका : 57 मिशन में से 16 असफल.
  • रूस : 56 मिशन में से 37 विफल.
  • चीन : 9 मिशन में से एक भी फेल नहीं हुआ.
  • जापान : 7 मिशन में से 2 असफल रहे.
  • यूरोपः 2 मिशन में से एक भी असफल नहीं.
  • इजरायलः एक ही मिशन किया वह भी असफल रहा.

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9 प्रकार के चंद्रयान भेजे गए चांद पर

  • ऑर्बिटर : ऐसा उपग्रह जो चांद के चारों तरफ चक्कर लगाता रहे. 45 ऑर्बिटर भेजे गए जिनमें से 14 लॉन्च के समय फेल हो गए या बीच रास्ते में खो गए.
  • लैंडर : जो उपग्रह चांद की सतह पर उतर कर एक ही स्थान पर विभिन्न प्रकार के प्रयोग करे, उसे लैंडर कहते हैं. 21 लैंडर में से 18 लैंडर सफल नहीं हुए.
  • फ्लाईबाई : जो उपग्रह चांद की कक्षा में घुसकर बेहद नजदीक से होकर आगे गुजर जाए या एक चक्कर लगाते हुए आगे निकल जाए तो उसे फ्लाईबाई कहते हैं. 18 फ्लाईबाई में से 10 फेल हो गए.
  • इंपैक्टर : वह इलेक्ट्रॉनिक वस्तु जो किसी फ्लाईबाई या ऑर्बिटर से चांद की सतह पर सिर्फ टकराने के लिए फेंकी जाए उसे इंपैक्टर कहते हैं. 15 इंपैक्टर में से 9 इंपैक्टर मिशन नाकाम हुए थे.
  • ग्रैविटी एसिस्टः यह ऐसा प्रयोग है जिसमें फ्लाईबाई और ऑर्बिटर की मदद से सतह और वातावरण में गुरुत्वाकर्षण शक्ति और रेडियो फ्रिक्वेंसी को मापा जाता है. 10 ग्रैविटी एसिस्ट में से सिर्फ दो असफलताएं मिलीं.
  • सैंपल रिटर्नः रोवर या मानव द्वारा चांद की सतह से किसी प्रकार का सैंपल लाकर उसकी जांच करना. ऐसे प्रयोगों को सैंपल रिटर्न कहते हैं. ऐसे सिर्फ 2 प्रयोग ही सफल हो पाए.
  • क्रूड ऑर्बिटरः ये सारे मिशन सफल रहे हैं. इनमें इंसान को ऑर्बिटर में बिठाकर चांद के चारों तरफ चक्कर लगाया जाता है. साथ ही लैंडर और रोवर चांद पर भेजा जाता है.
  • लैंडर/रोवरः 1 ही फेल हुआ. बाकी सारे सफल रहे. इसमें लैंडर चांद की सतह पर उतरता है फिर उसमें से रोवर निकलकर चांद की सतह की तस्वीरें लेता है और जांच करता है.
  • क्रूड ऑर्बिटर/लैंडर/रोवरः तीनों मिशन सफल रहे. मानव चांद की सतह पर उतरा.