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श्रीनगर में ऑनलाइन गेम PUBG खेल रहे युवक की मौत, यूं लड़ें डिजिटल लत से

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले में अपने मोबाइल फोन पर ऑनलाइन गेम 'पबजी' खेलते समय एक 19 वर्षीय युवक की मौत हो गई. पुलिस सूत्रों के अनुसार राज्य में इस तरह की यह पहली घटना है.

Updated on: 27 Jul 2019, 09:42 AM

श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले में अपने मोबाइल फोन पर ऑनलाइन गेम 'पबजी' खेलते समय एक 19 वर्षीय युवक की मौत हो गई. पुलिस सूत्रों के अनुसार राज्य में इस तरह की यह पहली घटना है. यह घटना उस समय हुई जब कानिपोरा इलाके के असीम बशीर गुरुवार को अपने दोस्त के घर श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके चानापोरा गए हुए थे. असीम के दोस्त का परिवार सुबह नाश्ते के लिए उसका इंतजार कर रहा था, लेकिन वह 25 व 26 जुलाई की रात के बीच गेम खेलते समय कथित तौर पर बेहोश हो गया.

सूत्रों ने कहा, 'उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.' इस घटना के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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टिकटॉक आत्महत्या, पबजी मौत : डिजिटल लत से यूं लड़ें

बच्चों और वयस्कों में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लगातार उपयोग को रोकने के प्रायोगिक तरीके बताते हुए मनोचिकित्सकों ने आगाह किया है कि डिजिटल लत वास्तविक है और यह उतनी ही खतरनाक हो सकती है जितनी की नशे की लत.

यह चेतावनी टिकटॉक खेलने से रोकने पर तमिलनाडु में 24 वर्षीय एक मां के आत्महत्या करने और मध्यप्रदेश में पिछले महीने लगातार छह घंटे पबजी खेलने वाले एक छात्र की दिल के दौरे से मौत होने की खबरों के बाद आई है. विशेषज्ञों ने कहा कि डिजिटल लत से लड़ने के लिए सबसे जरूरी बात इस लत के बढ़ने पर इसका एहसास करना है.

फोर्टिस हेल्थकेयर के मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यावहारिक विज्ञान विभाग के निदेशक समीर पारिख ने कहा, 'लोगों के लिए काम, घर के अंदर जीवन, बाहर के मनोरंजन तथा सामाजिक व्यस्तताओं के बीच संतुलन कायम रखना सबसे महत्वपूर्ण काम है. उन्हें यह सुनिश्चित करना है कि वे पर्याप्त नींद ले रहे हैं. यह बहुत जरूरी है.'

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पारिख ने यह भी कहा कि वयस्कों को प्रति सप्ताह चार घंटों के डिजिटल डिटॉक्स को जरूर अपनाना चाहिए. इस अंतराल में उन्हें अपने फोन या किसी भी डिजिटल गैजेट का उपयोग नहीं करना है. उन्होंने कहा, 'अगर किसी को इन चार घंटों में परेशानी होती है तो यह चिंता करने की बात है.'

नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के मनोचिकित्सा विभाग के सीनियर कंसल्टेंट संदीप वोहरा ने कहा, 'गैजेट्स के आदी लोग हमेशा गैजेट्स के बारे में सोचते रहते हैं या जब वे इन उपयोगों का उपयोग नहीं करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें अनिद्रा या चिड़चिड़ापन होने लगता है.'

उन्होंने कहा, 'डिजिटल लत किसी भी अन्य लत जितनी खराब है. तो अगर आपको डिजिटल लत है, तो ये संकेत है कि आप अपने दैनिक जीवन से दूर जा रहे हैं. आप हमेशा स्क्रीन पर निर्भर हैं.'

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ऐसे लोग व्यक्तिगत स्वच्छता तथा अपनी उपेक्षा तक कर सकते हैं. वे समाज, अपने परिवार से बात करना भी बंद कर देते हैं और अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सोचना या अपने नियमित काम करना भी बंद कर देते हैं. उन्होंने कहा, 'ऐसे लोगों में अवसाद, चिंता, उग्रता, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन के साथ-साथ अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी भी हो सकती है.'

वोहरा ने सलाह दी कि लोगों को जब लगे कि उनका बच्चा स्क्रीन पर ज्यादा समय बिता रहा है तो उन्हें सबसे पहले अपने बच्चे से बात करनी चाहिए और उन्हें डिजिटल गैजेट्स से संपर्क कम करने के लिए कहना चाहिए.