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Good News: इसरो ने सफलतापूर्वक लांच किया GSAT-30 संचार उपग्रह, जानें क्या होंगे इसके फायदे

जीसैट-30 उपग्रह भारतीय समयानुसार उस दिन दो बजकर 35 मिनट पर दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट पर कौरो के एरियर प्रक्षेपण परिसर से अपनी यात्रा पर रवाना हुआ.

Updated on: 17 Jan 2020, 07:36 AM

highlights

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) या इसरो ने जीसैट-30 संचार उपग्रह (GSAT Communication Satellite) को लांच कर दिया है.
  • अब देश में एक इंटरनेट क्रांति आने की संभावना जताई जा रही है.
  • इसरो ने फ्रेंच गुयाना से एरियन-5 प्रक्षेपण यान के माध्यम से यह उपग्रह लॉन्च किया.

नई दिल्ली:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) या इसरो ने जीसैट-30 संचार उपग्रह (GSAT Communication Satellite) को लांच कर दिया है. अब देश में एक इंटरनेट क्रांति आने की संभावना जताई जा रही है. इसरो ने फ्रेंच गुयाना से एरियन-5 प्रक्षेपण यान के माध्यम से यह उपग्रह लॉन्च किया. जीसैट-30 उपग्रह भारतीय समयानुसार उस दिन दो बजकर 35 मिनट पर दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट पर कौरो के एरियर प्रक्षेपण परिसर से अपनी यात्रा पर रवाना हुआ.

बताया जा रहा है कि ये देश का अब तक का सबसे ताकतवर संचार उपग्रह भी है. इस उपग्रह के लॉन्च होने के बाद देश की संचार व्यवस्था और मजबूत हो जाएगी. इसकी मदद से देश में नई इंटरनेट टेक्नोलॉजी लाई जाने की उम्मीद है. साथ ही पूरे देश में मोबाइल नेटवर्क फैल जाएगा, जहां अभी तक मोबाइल सेवा नहीं है.

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जीसैट-30 के फायदे

  • जीसैट-30 इसरो का डिजायन किया हुआ सबसे बढ़िया और सबसे ताकतवर संचार उपग्रह है. 
  • इसके लांच होने के बाद भारत को इंटरनेट की दुनिया में एक कदम और आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.
  • इस सैटेलाइट के लांच होने के साथ भारत में इंटरनेट की स्पीड बढ़ सकती है. 
  • स्पेस एजेंसी के अनुसार उपग्रह का उपयोग व्यापक रूप से वीसैट नेटवर्क, टेलीविजन अपलिंकिंग, टेलीपोर्ट सेवाएं, डिजिटल सैटलाइट खबर संग्रहण (डीएसएनजी) , डीटीएच टेलीविजन सेवाओं आदि के लिए किया जाएगा।
  • 5 जी को आगे बढ़ाने में ये सैटेलाइट काफी मदद करेगा. 

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क्या है GSAT-30?
GSAT-30 जीसैट सीरीज का बेहद ताकतवर संचार उपग्रह है जिसकी मदद से देश की संचार प्रणाली में भारत और भी ज्यादा ताकतवर हो जाएगा. अभी जीसैट सीरीज के 14 सैटेलाइट काम कर रहे हैं. इनकी बदौलत ही देश में संचार व्यवस्था कायम है.

जीसैट -30 को पूरी तरह से भारतीय अंतरिक्ष रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी कि इसरो ने ही डिजाइन किया है. इसमें दो सोलर पैनल होंगे और बैटरी होगी जिससे इसे ऊर्जा मिलेगी. यह 107 वां एरियन 5 वां मिशन होगा. कंपनी के 40 साल पूरे हो गए हैं. यह इनसैट सैटेलाइट की जगह काम करेगा. इससे राज्य-संचालित और निजी सेवा प्रदाताओं को संचार लिंक प्रदान करने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. मिशन की कुल अवधि 38 मिनट, 25 सेकंड होगी. इसका का वजन करीब 3100 किलोग्राम है.यह लॉन्चिंग के बाद 15 सालों तक काम करता रहेगा. इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा.

क्यो पड़ी इसकी जरूरत?
देश के पुराना संचार उपग्रह इनसैट सैटेलाइट की उम्र अब पूरी हो रही है. देश में इंटरनेट की नई टेक्नोलॉजी आ रही है. ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जा रहे हैं. 5जी तकनीक पर काम चल रहा है. ऐसे में ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी. GSAT-30 सैटेलाइट इन्हीं जरूरतों को पूरा करेगा.