अंतरिक्ष में भारत करेगा ऐसा प्रयोग, दुनिया रह जाएगी दंग
Indian Space Station : इस मिशन को स्पेडेक्स यानी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट नाम दिया गया है. सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए इसरो को 10 करोड़ रुपए दिए हैं. इस मिशन में दो प्रायोगिक उपग्रहों को पीएसएलवी रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा.
नई दिल्ली:
रुके न तू, थके न तू
झुके न तू, थमे न तू
सदा चले, थके न तू
रुके न तू, झुके न तू
कवि हरिवंश राय बच्चन की कविता की ये लाइनें भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organization- ISRO) पर एकदम सटीक बैठती हैं. चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर की गलत लैंडिंग से इसरो निराश नहीं है. बिना रुके, बिना थके इसरो के वैज्ञानिक अब अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बनाने जा रहा है. कुछ माह पहले इसरो चीफ के. सिवन ने इस बात का संकेत दिया था. यह बहुत जटिल काम है. इसमें दो अंतरिक्षयानों या सैटेलाइट या उपग्रहों को आपस में जोड़ना होता है.
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इसरो चीफ डॉ. के. सिवन के अनुसार, किसी इमारत को बनाने के लिए हम एक ईंट से दूसरी ईंट को जोड़ते हैं, उसी तरह दो अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ना होगा. इस मिशन को स्पेडेक्स यानी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट नाम दिया गया है. सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए इसरो को 10 करोड़ रुपए दिए हैं. इस मिशन में दो प्रायोगिक उपग्रहों को पीएसएलवी रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा और अंतरिक्ष में उन्हें आपस में जोड़ा जाएगा. दो सैटेलाइटों की गति कम करके उन्हें अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा, जो बहुत ही जटिल है. अगर दोनों उपग्रहों की गति ठीक से नियंत्रित नहीं हुई तो ये आपस में टकरा सकती हैं. इस मिशन की शुरुआत गगनयान (2021) के बाद यानी अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने और डॉकिंग में महारत हासिल करने के बाद ही की जा सकेगी.
इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने बताया कि पहले स्पेडेक्स मिशन को 2025 तक पीएसएलवी रॉकेट से छोड़ने की तैयारी थी. इस प्रयोग में रोबोटिक आर्म एक्सपेरीमेंट भी शामिल होगा. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को पांच देशों अमेरिका (NASA), रूस (ROSCOSMOS), जापान (JAXA), यूरोप (ESA) और कनाडा (CSA) की अंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर बनाया है. इसे बनाने में 13 साल लगे थे और 40 बार डॉकिंग की गई थी.
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इसरो चीफ डॉ. के. सिवन का कहना है कि भारतीय स्पेस स्टेशन का वजन 20 टन होगा, जिसके बल पर हम माइक्रोग्रैविटी के अध्ययन सहित कई प्रयोग कर पाएंगे. भारतीय स्पेस स्टेशन में 15-20 दिन के लिए कुछ अंतरिक्ष यात्रियों के रुकने की व्यवस्था होगी. 5 से 7 साल में इसरो अपना स्पेस स्टेशन बना लेता है तो वह दुनिया का चौथा देश होगा, जिसका खुद का स्पेस स्टेशन होगा. इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन अपना स्पेस स्टेशन बना चुके हैं.
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