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ब्रेस्‍ट कैंसर का अब और कारगर तरीके से होगा इलाज, भारतीय और अमेरिकी वैज्ञानिकों ने खोजा नया तरीका

भारतीय और अमेरिकन शोधकर्ताओं ने ब्रेस्‍ट कैंसर (Breast Cancer) का बेहतर इलाज का तरीका खोज निकाला है.

Updated on: 05 Nov 2019, 06:58 PM

टेक्‍सॉस:

भारतीय और अमेरिकन शोधकर्ताओं ने ब्रेस्‍ट कैंसर (Breast Cancer) का बेहतर इलाज का तरीका खोज निकाला है. शोधकर्ताओं ने एक ऐसे प्रथम श्रेणी के अणु की पहचान की है जो एस्ट्रोजन के प्रति संवेदनशील स्तन कैंसर (Breast Cancer) को दूर कर देते हैं. इस शोध के बाद उन मरीजों में उम्‍मीद की किरण जगी है, जिनका परंपरागत तरीके से अबतक इलाज होता रहा है और ये पारंपरिक उपचार कैंसर (Breast Cancer) प्रतिरोधी बन गए हैं.

प्रथम श्रेणी के अणु अलग तरह से काम करते हैं. ब्रेस्‍ट कैंसर (Breast Cancer) से प्रभावित ट्यूमर कोशिकाओं के एस्ट्रोजन रिसेप्टर पर यह अणु एक प्रोटीन को लक्षित करता है. यह दवा उन रोगियों के लिए आशा प्रदान करती है जिनके स्तन कैंसर (Breast Cancer) पारंपरिक उपचारों के लिए प्रतिरोधी बन गए हैं.

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टेक्सास साउथवेस्टर्न (यूटी साउथवेस्टर्न) सीमन्स कैंसर (Breast Cancer) सेंटर के प्रोफेसर गणेश राज ने इस शोध के बारे में बताते हुए पीटीआई से कहा कि यह मौलिक रूप से बिल्‍कुल अलग है, एस्ट्रोजेन-रिसेप्टर पॉजिटिव स्तन कैंसर (Breast Cancer) के लिए यह एजेंटों का एक नया वर्ग है.

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राज ने कहा, " इसका अपना अनूठा तंत्र मौजूदा समय में ब्रेस्‍ट कैंसर (Breast Cancer) के इलाज की सीमा से परे है." राज आगे बताते हैं कि सभी स्तन कैंसर (Breast Cancer) का परीक्षण यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या उन्हें एस्ट्रोजन विकसित करने की आवश्यकता है और लगभग 80 प्रतिशत एस्ट्रोजन के प्रति संवेदनशील पाए जाते हैं.

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राज ने कहा कि इस तरह के कैंसर (Breast Cancer) को अक्सर हार्मोन थेरेपी के साथ प्रभावी रूप से इलाज किया जा सकता है, जैसे कि टेमोक्सीफेन, लेकिन इनमें से एक तिहाई कैंसर (Breast Cancer) अंततः प्रतिरोधी बन जाते हैं. नया कंपाउंड इन मरीजों के लिए अत्यधिक प्रभावी और नेक्‍स्‍ट जेनरेशन का इलाज है.

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पारंपरिक हार्मोनल ड्रग्स, जैसे कि टेमोक्सीफेन, कैंसर (Breast Cancer) कोशिकाओं में एस्ट्रोजन रिसेप्टर नामक एक अणु को संलग्न करके काम करते हैं. ये अणु एस्ट्रोजन को रिसेप्टर से बांधने से रोकते हैं. जिससे कैंसर (Breast Cancer) कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है. हालांकि, एस्ट्रोजन रिसेप्टर समय के साथ अपने आकार को बदल सकता है ताकि उपचार दवा अब रिसेप्टर के साथ बड़े करीने से फिट न हो. जब ऐसा होता है तो कैंसर (Breast Cancer) कोशिकाएं फिर से बढ़ने लगती हैं.

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यूटी साउथवेस्टर्न के प्रोफेसर डेविड मैंगेल्सडॉर्फ ने कहा, "दवा को विकसित करने के पीछे जो उद्देश्‍य है वो एस्ट्रोजेन रिसेप्टर की क्षमता को रोकना है. अधिकांश स्तन कैंसर (Breast Cancer) में सह-नियामक प्रोटीन दूसरे प्रोटीन से मिलकर ट्यूमर को तेजी से बढ़ाते हैं. इस तरह के प्रोटीन-प्रोटीन इंटरैक्शन को रोकना दशकों से कैंसर (Breast Cancer) शोधकर्ताओं का एक सपना रहा है. यह दवा प्रोटीन-प्रोटीन इंटरैक्शन को रोकने का काम करती है .