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लैंडर 'विक्रम' की 'खामोशी' का राज अगले तीन दिन में खुलेगा, इसरो ने जताया विश्वास

3 दिन बाद वैज्ञानिक लैंडर 'विक्रम' को ढूंढ निकालेंगे. इसकी वजह यह है कि जहां से लैंडर 'विक्रम' का संपर्क टूटा था, उसी जगह से ऑर्बिटर को पहुंचने में तीन दिन का समय लगेगा.

Updated on: 08 Sep 2019, 07:30 AM

highlights

  • ऑर्बिटर तीन बाद वहां होगा, जहां से खामोश हुआ था लैंडर 'विक्रम'.
  • तीन उपकरण 'विक्रम' को खोजने में करेंगे मदद.
  • देश को उम्मीद है कि अगले 14 दिनों में कोई अच्छी खबर मिलेगी.

नई दिल्ली:

जहां चाह वहां राह की तर्ज पर 'चंद्रयान 2' के लैंडर 'विक्रम' के ऐन मौके इसरो से संपर्क टूट जाने के बाद भी लूनर मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों के हौसले पस्त नहीं हुए हैं. संपर्क टूटने के वक्त लैंडर चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर दूर था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 3 दिन बाद वैज्ञानिक लैंडर 'विक्रम' को ढूंढ निकालेंगे. इसकी वजह यह है कि जहां से लैंडर 'विक्रम' का संपर्क टूटा था, उसी जगह से ऑर्बिटर को पहुंचने में तीन दिन का समय लगेगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक टीम को लैंडिंग साइट की पूरी जानकारी है. आखिरी समय में लैंडर 'विक्रम' रास्ते से भटक गया था. इसलिए अब वैज्ञानिक तीन उपकरणों की मदद से उसे ढूंढने की कोशिश करेंगे.

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ऑर्बिटर करेगा इसे संभव
गौरतलब है कि ऑर्बिटर में सिंथेटिक अपर्चर रेडार (एसएआर), आईआर स्पेक्ट्रोमीटर और कैमरे की मदद से 10 x 10 किलोमीटर के इलाके को छाना जा सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक लैंडर 'विक्रम' का पता लगाने के लिए उन्हें उस इलाके की हाईरिजॉल्यूशन तस्वीरें लेनी होंगी. इनकी मदद से इसरो के वैज्ञानिक अब तीन दिनों में लैंडर 'विक्रम' के मिलने का विश्वास जरा रहे हैं. इसकी वजह यह है कि लैंडर से जिस जगह पर संपर्क टूटा था, उसी जगह पर ऑर्बिटर को पहुंचने में तीन दिन लगेंगे.

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'चंद्रयान 2' 100 फीसदी रहा कामयाब
तस्वीर के उजले पक्ष को अगर देखें तो 'चंद्रयान 2' अपने मकसद में लगभग 100 प्रतिशत कामयाब हो चुका है. 2008 के 'चंद्रयान 1' मिशन के प्रॉजेक्ट डायरेक्टर और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एम. अन्नादुरई ने के मुताबिक ऑर्बिटर तमाम ऐसी चीजें करेगा जो लैंडर और रोवर नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, 'रोवर का रिसर्च एरिया 500 मीटर तक होता, लेकिन ऑर्बिटर तो करीब 100 किलोमीटर की ऊंचाई से पूरे चांद की मैपिंग करेगा.' वैज्ञानिकों की मानें तो पहली बार हमें चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र का डाटा मिलेगा. चंद्रमा की यह जानकारी विश्व तक पहली बार पहुंचेगी.

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क्रैश लैंडिंग हुई होगी, तो बढ़ेंगी मुश्किलें
वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर लैंडर 'विक्रम' में क्रैश लैंडिंग की होगी तो वह कई टुकड़ों में टूट चुका होगा. ऐसे में लैंडर 'विक्रम' को ढूंढना और उससे संपर्क साधना काफी मुश्किल भरा होगा, लेकिन अगर उसके कंपोनेंट को नुकसान नहीं पहुंचा होगा तो हाईरिजॉल्यूशन तस्वीरों के जरिए उसका पता लगाया जा सकेगा. इससे पहले इसरो चीफ के. सिवन ने भी कहा है कि अगले 14 दिनों तक लैंडर 'विक्रम' से संपर्क साधने की कोशिशें जारी रहेंगी. इसरो की टीम लगातार लैंडर 'विक्रम' को ढूंढने में लगी हुई है. इसरो चीफ के बाद देश को उम्मीद है कि अगले 14 दिनों में कोई अच्छी खबर मिल सकती है.