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चंद्रमा पर सुबह होते ही फिर विक्रम से संपर्क की होंगी कोशिशें, इसरो नाउम्मीद नहीं

चंद्रमा (Moon) के दक्षिणी ध्रुव पर सर्द रातों को झेल रहे बेसुध पड़े लैंडर विक्रम (Lander Vikram) से इसरो की उम्मीदें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं. वह चंद्रमा पर दिन होने का इंतजार कर रहा है.

Updated on: 01 Oct 2019, 05:38 PM

highlights

  • चंद्रमा पर दिन निकलने के साथ फिर शुरू होगा विक्रम से संपर्क का प्रयास.
  • फिलहाल चंद्रमा पर रात के चलते विक्रम लैंडर को झेलनी पड़ रही भीषण सर्दी.
  • लैंडिंग के दौरान झटके के कारण लैंडर के भीतर कई चीजों को नुकसान पहुंचना संभव.

नई दिल्ली:

चंद्रमा (Moon) के दक्षिणी ध्रुव पर सर्द रातों को झेल रहे बेसुध पड़े लैंडर विक्रम (Lander Vikram) से इसरो की उम्मीदें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं. वह चंद्रमा पर दिन होने का इंतजार कर रहा है, क्योंकि उम्मीद की लौ यही कह रही है कि तब शायद विक्रम से संपर्क स्थापित हो जाए. गौरतलब है कि लगभग तीन सप्ताह पहले 7 सितंबर को सॉफ्ट लैंडिंग (Sofr Landing) के दौरान विक्रम गति पर नियंत्रण नहीं रख पाने के कारण क्रैश हो गया था. इसके साथ ही उसका ऑर्बिटर और चंद्रयान-2 समेत इसरो के नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया था.

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चंद्रमा पर दिन होते ही फिर संपर्क का प्रयास करेगा इसरो
गौरतलब है कि सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान संपर्क टूटने के बाद भी इसरो (ISRO) की उम्मीदें बाकी रहीं, लेकिन लूनर नाइट शुरू होने के बाद लगभग 10 दिन पहले इन कोशिशों को स्थगित कर दिया गया. लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क करने के सवाल पर इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने मंगलवार को कहा, 'अभी यह संभव नहीं है, वहां रात हो रही है. शायद इसके बाद हम इसे शुरू करेंगे. हमारे लैंडिंग स्थल पर भी रात का समय हो रहा है.' उन्होंने कहा, 'चंद्रमा पर दिन होने के बाद हम प्रयास करेंगे.'

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विक्रम को गिरने से लगा झटका गंभीर
कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर से संपर्क स्थापित करना अब काफी मुश्किल है. इसरो के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, 'मुझे लगता है कि कई दिन गुजर जाने के बाद संपर्क करना काफी मुश्किल होगा लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है.' यह पूछे जाने पर कि क्या चंद्रमा पर रात (Lunar Night) के समय अत्यधिक ठंड में लैंडर दुरुस्त स्थिति में रह सकता है, अधिकारी ने कहा, 'सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके (Jolt) से हुआ असर चिंता की बात है क्योंकि लैंडर तेज गति से चंद्रमा की सतह पर गिरा होगा. इस झटके के कारण लैंडर के भीतर कई चीजों को नुकसान पहुंच सकता है.'