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चीन ने अंतरिक्ष में हासिल की ये सफलता, भारत भी जल्द लेगा ये एक्शन

सितंबर 2019 में भारत ने अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों एवं अन्य सम्पत्तियों की मलबे एवं अन्य वस्तुओं से सुरक्षा के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली संबंधी ‘प्रोजेक्ट नेत्र’ की घोषणा की थी.

Updated on: 26 Dec 2019, 01:57 PM

highlights

  • पड़ोसी देश चीन लगातार अपनी पहुंच अंतरिक्ष में बढ़ाता जा रहा है. 
  • एक बार फिर चीन ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो वाकई काबिले तारीफ है. 
  • दुनिया भर के अंतरिक्ष कचरे से चीन ने बचकर निकलने का रास्ता निकाल लिया है.

नई दिल्ली:

चीन (China) के रिसर्चर्स ने धरती की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष कबाड़ (Space Debris) का सही सही पता लगाने की अपनी तकनीक को और ज्यादा विकसित कर रहा है. इससे चीन के स्पेसक्राफ्ट के अंतरिक्ष में भेजने के रास्तों को सुरक्षित किया जा सकेगा और किसी भी फालतू कूड़े का स्पेसक्राफ्ट से टकराने से बचाया जा सकेगा. दरअसल मानव जो भी चीज अंतरिक्ष में भेजता है वो एक समय तक ही काम करती हैं उसके बाद बेवजह ही अंतरिक्ष में चक्कर लगाती रहती हैं. इसीलिए जब नए अंतरिक्ष यानों को भेजा जाता है तो इन बेवजह पड़े कचरों का स्पेसक्राफ्ट से टकराने का खतरा बना रहता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के कबाड़ की पहचान करने की प्रणालियां पहले भी विकसित की हैं लेकिन वे उनके छोटे-छोटे टुकड़ों (Space Debris) का तेजी से पता लगाने में उतनी कारगर नहीं होती थीं. लेजर रेंज वाले टेलीस्कोप के लिए अल्गोरिद्म के एक अनूठे सेट ने अंतरिक्षीय कबाड़ का सही-सही पता लगाने की सफलता दर में सुधार किया है.

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लेजर रेंज वाली तकनीक वस्तुओं के लेजर प्रतिबिंब को उनकी दूरी मापने के लिए उपयोग करती है. अंतिरिक्षीय कबाड़ की सतह से आने वाली प्रतिध्वनि बहुत कमजोर होती है जिससे सटीकता घटती है. पहले लगभग एक किलोमीटर तक कबाड़ का सही-सही पता लगाने को लेकर लेजर रेंजिंग में सुधार किया गया था. बता दें कि इस प्रणाली के ब्योरे ‘जर्नल ऑफ लेजर ऐप्लिकेशन्स' में दिए गए हैं.
भारत सरकार भी चिंतित
सरकार ने अंतरिक्ष में भारतीय उपग्रहों को मलबे और अन्य खतरों से सुरक्षित रखने वाली इसरो की ‘‘ नेटवर्क फार स्पेस आब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस’’ या ‘‘प्रोजेक्ट नेत्र’’ के लिये 33.30 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया है. अनुदान की पूरक मांगों के दस्तावेज से यह जानकारी मिली है . वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2019-20 के अनुदान की पूरक मांगों के पहले बैच में ‘‘ नेटवर्क फार स्पेस आब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस’’ परियोजना के वास्ते 33.30 करोड़ रूपये मंजूर करने के लिये संसद की मंजूरी मांगी थी.

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भारत भी जल्द तैयार करेगी रणनीति
सितंबर 2019 में भारत ने अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों एवं अन्य सम्पत्तियों की मलबे एवं अन्य वस्तुओं से सुरक्षा के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली संबंधी ‘प्रोजेक्ट नेत्र’ की घोषणा की थी.
' नेटवर्क फार स्पेस आब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस' परियोजना से भारत को अंतरिक्ष में मलबे एवं अन्य खतरों का आकलन करने की अमेरिका और रूस के समान क्षमता हासिल हो जायेगी . एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिक्ष में लगभग 17,000 मानव निर्मित वस्तुओं की निगरानी की जाती हैं जिनमें से 7% वस्तुएँ सक्रिय हैं. एक समयावधि के बाद ये वस्तुएँ निष्क्रिय हो जाती हैं और अंतरिक्ष में घूर्णन करने के दौरान एक-दूसरे से टकराती रहती हैं.