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Chandrayaan 2: चांद के बेहद करीब आकर विक्रम लैंडर का पृथ्‍वी से संपर्क टूटा

संपर्क टूटते ही इसरो में बेचैनी छा गई. हालांकि अभी उम्मीद पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है और हो सकता है कि बाद में लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाए.

नई दिल्‍ली:

चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2)की लैंडिंग को लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं है. चांद के बेहद करीब आकर विक्रम लैंडर (Vikram Lander)का संपर्क पृथ्‍वी से टूट गया. संपर्क टूटते ही इसरो में बेचैनी छा गई. हालांकि अभी उम्मीद पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है और हो सकता है कि बाद में लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाए. बता दें अगर भारत क़ामयाब होता है तो अमरीका, रूस और चीन के बाद, भारत चंद्रमा पर किसी अंतरिक्ष यान की सॉफ़्ट लैंडिंग करवाने वाला चौथा देश बन जाएगा. क्‍योंकि अभी उम्मीद पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है और हो सकता है कि बाद में लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाए.

पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को हौसला बढ़ाते हुए कहा कि यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. देश आप लोगों की मेहनत पर गर्व करता है. मेरी ओर से आप सब को बधाई. आप लोगों ने विज्ञान और मानव जाति की काफी सेवा की है. आगे भी प्रयास जारी रहेगा. मैं पूरी तरह आपके साथ हूं. ऑल द बेस्ट.

सब कुछ सही चल रहा था कि अचानक विक्रम से पृथ्‍वी के कंट्रोल रूम से उसका संपर्क टूट गया. बता दें लैंडर विक्रम की पहले रात 1 बजकर 55 मिनट पर लैंडिंग होनी थी. इसका समय बदलकर 1 बजकर 53 मिनट कर दिया गया. इसके बाद पीएम मोदी के पास इसरो चेयरमैन डॉ के. सिवन आए और उनसे कुछ कहा. वैज्ञानिकों ने सिवन को ढांढस बंधाते हुए उनकी पीठ थपथपाई.

इसके बाद सिवन ने बताया, 'लैंडर विक्रम की लैंडिंग प्रक्रिया एकदम ठीक थी. जब यान चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, तब उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया. हम ऑर्बिटर से मिल रहे डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं.' अगर लैंडर विक्रम की लैंडिंग की पुष्टि हो जाती है तो सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा, यह सुबह 5:45 पहली तस्वीर क्लिक करेगा.

जब लैंडिंग का यह समय भी बीत गया तो इसरो मुख्यालय में वैज्ञानिकों से लेकर वहां मौजूद हर शख्‍स के चेहरे पर तनाव नजर आने लगा. इसरो मुख्यालय के कंट्रोल रूम में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजिटर गैलरी से रवाना हो गए.

डॉ. सिवन की तरफ से संपर्क टूटने की घोषणा होने के बाद प्रधानमंत्री दोबारा वैज्ञानिकों के बीच लौटे. उन्होंने कहा- जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. जो आपने किया, वो छोटा नहीं है. आगे भी हमारी कोशिशें जारी रहेंगी. देश को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है. मैं पूरी तरह वैज्ञानिकों के साथ हूं. आगे भी हमारी यात्रा जारी रहेगी. मैं आपके साथ हूं. हिम्मत के साथ चलें. आपके पुरुषार्थ से देश फिर से खुशी मनाने लग जाएगा. आपने जो कर दिखाया है, वह भी बहुत बड़ी उपलब्धि है. 

सॉफ्ट लैंडिंग के अब तक 38 प्रयास हुए, 52% ही सफल

चांद पर पहुंचने की पहली कोशिश 1958 में अमेरिका और सोवियत संघ रूस ने की थी. अगस्त से दिसंबर 1968 के बीच दोनों देशों ने 4 पायनियर ऑर्बिटर (अमेरिका) और 3 लूना इंपैक्ट (सोवियन यूनियन) भेजे, लेकिन सभी असफल रहे. अब तक चंद्रमा पर दुनिया के सिर्फ 6 देशों या एजेंसियों ने सैटेलाइट यान भेजे हैं. इनमें से सिर्फ 5 को कामयाबी मिली. अभी तक ऐसे 38 प्रयास किए गए, जिनमें से 52% सफल रहे. 

आगे क्या? जिस ऑर्बिटर से लैंडर अलग हुआ था, वह अभी भी चंद्रमा की सतह से 119 किमी से 127 किमी की ऊंचाई पर घूम रहा है। 2,379 किलो वजनी ऑर्बिटर के साथ 8 पेलोड हैं और यह एक साल काम करेगा. यानी लैंडर और रोवर की स्थिति पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा। 8 पेलोड के अलग-अलग काम होंगे. चांद की सतह का नक्शा तैयार करना. इससे चांद के अस्तित्व और उसके विकास का पता लगाने की कोशिश होगी। मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम, आयरन और सोडियम की मौजूदगी का पता लगाना। सूरज की किरणों में मौजूद सोलर रेडिएशन की तीव्रता को मापना. चांद की सतह की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें खींचना. सतह पर चट्टान या गड्ढे को पहचानना ताकि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग हो. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की मौजूदगी और खनिजों का पता लगाना. ध्रुवीय क्षेत्र के गड्ढों में बर्फ के रूप में जमा पानी का पता लगाना चंद्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन करना. अप्रैल में इजरायल के यान के साथ भी ऐसी ही दिक्कत आई थी इजराइल की निजी कंपनी स्पेसएल ने इसी साल अपना मून मिशन भेजा था. लेकिन उसका यान बेरेशीट चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश में क्रैश हो गया था। यान के इंजन में तकनीकी समस्या आने के बाद उसका ब्रेकिंग सिस्टम फेल हो गया था। वह चंद्रमा की सतह से करीब 10 किलोमीटर दूर था, तभी पृथ्वी से उसका संपर्क टूट गया और रोवर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया.