Chandrayaan 2: Lander Vikram के सामने लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट होंगे जोखिम भरे
चांद पर लैंडर के उतरने से पहले 15 मिनट का समय काफी अहम होगा.
highlights
- आज चांद पर रोवर प्रज्ञान के साथ चांद की सतह पर उतरेगा लैंडर विक्रम.
- चांद की सतह पर उतरना होगा विक्रम के लिए बड़ी चुनौती.
- अगर परिस्थितियां बदलीं तो खतरे में पड़ जाएगा मून मिशन.
नई दिल्ली:
Chadrayaan 2 Landing Latest Updates: इसरो (ISRO-Indian Space Research Organisation) का चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) आज इतिहास रचने वाला है. आज भारत के इस मून मिशन पर दुनियाभर की नजरें टिकी होंगी. 22 जुलाई को शुरू हुआ चांद तक का सफर आज मध्य रात्री के बाद यानी 7 सितंबर के भोर में पूरा होने के कगार पर होगा.
ISRO: The soft landing of #Chandrayaan2 Vikram lander on lunar surface is scheduled between 1:30 am to 2:30 am on Saturday, September 07, 2019. This will be followed by the Rover roll out between 5:30 am to 6:30 am. pic.twitter.com/GCGYrYlohv
— ANI (@ANI) September 6, 2019
चंद्रयान 2 शनिवार भोर में करीब 1.30 से 2.30 बजे तक चांद के साउथ पोल पर सॉफ्च लैंडिंग करेगा. जबकि लैंडर विक्रम में से रोवर प्रज्ञान सुबह करीब 5.30 से 6.30 के बीच में बाहर आ जाएगा. प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक लूनर डे (चांद का एक दिन) में ही कई प्रयोग करेगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चांद का एक दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. लेकिन आपको बता दें कि चांद पर लैंडर के उतरने से पहले 15 मिनट का समय काफी अहम होगा.
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हालांकि, चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहा ऑर्बिटर एक साल तक मिशन पर काम करता रहेगा. अगर लैंडर विक्रम चंद्रमा की ऐसी सतह पर उतरता है जहां 12 डिग्री से ज्यादा का ढलान है तो उसके पलटने का खतरा रहेगा.
चांद की सतह पर उतरने में होगा ये खतरा
- चंद्रमा पर उतरते समय उसके गुरुत्वाकर्षण (Gravitational Forces) का रोल काफी अहम होता है और रोवर को काफी सावधानी से उतरना होगा नहीं तो रोवर पलटने का खतरा भी हो सकता है. साथ ही गुरुत्वाकर्षण दबाव से गुजरना विक्रम के लिए काफी मुश्किल होगा. यहां उसे सौर गतिविधियों व आंधियों से पैदा हुए दबाव को भी सहना पड़ेगा.
- ISRO को लैंडिंग के लिए पहले से ही ऐसी जगह का चुनाव करना था, जहां ढलान 15 डिग्री से अधिक न हो. इससे विक्रम को उतारने में आसानी होगी. अगर ये स्लोप या ढलान 15 डिग्री से अधिक होगा तो लैंडर विक्रम पलट भी सकता है.
- आपको बता दें कि चंद्रमा का अपना कोई वातावरण नहीं है इसलिए लैंडर को आसानी होगी लेकिन चंद्रमा पर रेडिएशन का स्तर खतरनाक है.
- चंद्रमा पर 23,605 गड्ढों के बीच लैंडर विक्रम को लैंड करना है. ये गड्ढे चंद्रमा पर एस्टेरॉयड या स्पेस रॉक्स के टकराने से बना है. इन्ही गड्ढों के बीच इसरो ने विक्रम को उतारने के लिए बेहद सटीक योजना बनाई गई है. जरा सी चूक पूरे मिशन को खतरे में डाल सकती है.
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- चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए विक्रम को पूरी तरह समतल सतह न होने की वजह से वहां उतरना काफी मुश्किल भरा काम होगा. ऐसे में अपने चार पैरों के बल पर उतरना भी चुनौतीपूर्ण है. लेकिन इन्हीं पैरों में लगे शॉक-अब्जॉबर्स उसे इन झटकों से बचाने के लिए लगाए गए हैं.
- Vikram के उतरने के बाद भी उसके अंदर रखे गए रोवर प्रज्ञान को अगले चार घंटे तक बाहर नहीं निकालने की योजना बनाई गई है. इसकी वजह लैंडिंग की वजह से उड़ी धूल है. चंद्रमा के कमजोर गुरुत्वाकरर्षण में यह धूल न केवल काफी समय बनी रह सकती है, बल्कि उपकरणों को नुकसान भी पहुंचा सकती है. प्रज्ञान जिसे 14 दिन काम करना है और चंद्र सतह पर 500 मीटर चलना है, उसके लिए मिशन को जोखिम में डालने वाली स्थितियां होंगी.
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