पाकिस्तान की गलियां तक होंगी हमारी नजर में, कार्टोसैट-3 का सफल प्रक्षेपण
इसरो बुधवार सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से एकसाथ 27 मिनट में 14 सैटेलाइट्स का प्रक्षेपण करेगा.
highlights
- यह पांच साल तक अंतरिक्ष में काम करता रहेगा.
- कलाई पर बंधी घड़ी के समय की भी सटीक जानकारी देगा.
- यह किसी भी मौसम में धरती की तस्वीर ले सकता है.
New Delhi:
सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने बुधवार को कार्टोसैट-3 समेत 13 अमेरिकी सैटेलाइट लांच कर दिए. जुलाई में मून मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के बाद इसरो का यह पहला सैटेलाइट लांच है. बुधवार सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से एकसाथ 27 मिनट में 14 सैटेलाइट्स का प्रक्षेपण किया गया. इन सैटेलाइट्स में सबसे उन्नत श्रेणी का बहुउद्देश्यीय सैटेलाइट कार्टोसैट-3 भी शामिल है, जो की एक सैन्य जासूसी उपग्रह है. इससे भारत, पाकिस्तान सहित अपने दुश्मन देशों की चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखेगा.
#WATCH Indian Space Research Organisation (ISRO) launches PSLV-C47 carrying Cartosat-3 and 13 nanosatellites from Satish Dhawan Space Centre at Sriharikota pic.twitter.com/FBcSW0t1T2
— ANI (@ANI) November 27, 2019
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अंतरिक्ष में होंगी सबसे ताकतवर आंखें हमारी
कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष में 509 किलोमीटर की ऊंचाई से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की स्पष्ट तस्वीर ले सकेगा. यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी पर दिख रहे सही समय की भी सटीक जानकारी देगा. अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है. अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है. इस क्षमता की वजह से पाकिस्तान और चीन के चप्पे-चप्पे हमारी नजर रहेगी.
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पीएसएलवी की 74वीं उड़ान होगी
इसका वजन 1560 किलोग्राम है और यह पांच साल तक अंतरिक्ष में काम करता रहेगा. इसे 509 किमी अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया जाना है. जमीन से 25 सेंटीमीटर ऊंचाई तक तस्वीरें लेने में सक्षम है. यह किसी भी मौसम में धरती की तस्वीर ले सकता है. दिन के साथ रात में भी तस्वीर ले सकता है. गौरतलब है कि 6 स्ट्रैपऑन्स के साथ पीएसएलवी की 21वीं उड़ान है, जबकि पीएसएलवी की 74वीं उड़ान रही. कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के 13 अन्य नैनो सैटेलाइट भी छोड़े गए. ये सैटेलाइट्स व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए हैं.
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