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ब्लैकहोल एक्सरे की परिवर्तनशीलता उत्पत्ति की पहचान का आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का दावा

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसने ब्लैकहोल से निकलने वाली एक्सरे की परिवर्तनशीलता की उत्पत्ति की पहचान कर ली है.

Updated on: 24 Jan 2020, 08:13 PM

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यह शोध इसरो द्वारा भेजे गए एस्ट्रोसैट के डे

नई दिल्ली:

कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसने ब्लैकहोल से निकलने वाली एक्सरे की परिवर्तनशीलता की उत्पत्ति की पहचान कर ली है. कानपुर आईआईटी और आईयूसीएए पुणे ने यह शोध इसरो द्वारा भेजे गए एस्ट्रोसैट के डेटा के जरिए किया है. आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की टीम ने एक बहुचर्चित ब्लैक होल बाइनरी 'जीआरएस से उत्सर्जित एक्स-रे का अध्ययन इसरो द्वारा प्रक्षेपित उप्रगह एस्ट्रोसैट के माध्यम से किया है.

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एलएएक्सपीसी तथा एसएक्सटी की मदद से विश्लेषण
उन्होंने मुंबई स्थित टीआईएफआर संस्थान में अध्ययन के निष्कर्षों का लार्ज एरिया एक्स-रे प्रपोर्शनल काउंटर (एलएएक्सपीसी) तथा सॉफ्ट एक्स-रे टेलीस्कोप (एसएक्सटी) उपकरणों की मदद से विश्लेषण किया. उन्होंने इन उपकरणों की विलक्षण क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए दोलन की आवृत्तियों की गणना के साथ-साथ आंतरिक डिस्क की त्रिज्या की गणना और प्रति सेकेंड ब्लैक होल में जाने वाले सूक्ष्म पदार्थ का सफल आंकलन किया है. उन्होंने अपने अध्ययनों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि आवृत्ति और त्रिज्या में पारस्परिक संबंध है, त्रिज्या में परिवर्तन होने पर आवृत्ति में परिवर्तन परिलक्षित होता है, यह ध्वनि तरंगों के ब्लैक होल की आंतरिक त्रिज्या तक पहुंचने में लगने वाले समय का ठीक उल्टा होता है.

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गणना सापेक्षता के सिद्धांत पर
आज से चार दशक पूर्व भी ऐसी गणना सापेक्षता के सिद्धांत के आधार पर हुई थी. यह चिन्हीकरण सापेक्षता के नियमों के परीक्षण के लिए सामान्य प्रयोगशालाओं की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करता है. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर पंकज जैन ने बताया कि जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी (सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत) से अब एक निश्चित दूरी पर मजबूत गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों की जांच संभव होगी. आईयूसीएए के प्रोफेसर रंजीव मिश्रा के अनुसार कई वर्षों से वैज्ञानिकों ने यह अवलोकन किया है कि ब्लैक होल से एक्स-रे उत्सर्जन तेजी के साथ और कई बार निश्चित समय अंतराल पर होता है, जो ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण के चलते सापेक्षता के नियमों से प्रभावित प्रतीत होता है.

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न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत फेल
प्रोफेसर जैन ने कहा, 'एस्ट्रोसैट के उपयोग से हमने सापेक्षता के सिद्धांतों के आधार पर ब्लैक होल के केंद्र द्वारा गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों की अधिक सफल गणना की है. यहां पर न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत फेल हो जाता है. यह रोचक है कि निष्कर्ष सापेक्षता के सिद्धांतों की गणना से मेल खाता है. एक और रोचक तथ्य यह है कि इस शोध में ब्लैक होल अपनी सर्वाधिक स्पिनिंग वैल्यू के करीब था, जिससे गणना एकदम सटीक हुई है.' उन्होंने कहा, 'एस्ट्रोसैट के माध्यम से समय के साथ हमने सापेक्षता के सिद्धांतों के आधार पर इस चिन्हीकरण को अंजाम दिया है.'

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एक्सरे परिवर्तनशीलता की उत्पत्ति की पहचान
पीएचडी स्कॉलर दिव्या रावत ने कहा, 'हमने ब्लैकहोल सिस्टम में व्यापक रूप से ज्ञात एक्सरे परिवर्तनशीलता की उत्पत्ति की पहचान की है. इससे भौतिक प्रक्रिया को समझने में काफी मदद मिलेगी. आगामी रिसर्च प्रोजेक्ट्स में हम ब्लैक होल की फिजिकल प्रोसेस की थ्योरी का अध्ययन करेंगे. हमें आशा है कि हमारा यह रिसर्च ब्लैक होल की संरचना को समझने की दिशा में एक सार्थक कदम है.'

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अन्य स्पेस मिशन पर सकारात्मक प्रभाव
वर्ष 2018 में टीआईएफआर मुंबई से सेवानिवृत्त और अब आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर जेएस यादव, स्पेस क्वालिफिकेशन टेस्ट, कैलिबरेशन और लांच के समय एलएएक्सपीसी उपकरण के मुख्य अनुसंधानकर्ता रहे हैं. उनके मुताबिक, भारत में विश्वस्तरीय स्पेस उपकरण तैयार करना निश्चित रूप से एक चुनौती है. यह रिसर्च अब अपने भारतीय उपकरण के माध्यम से करने में सफल हो पाया है. यह रिसर्च भारत के अन्य स्पेस मिशन पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला सिद्ध होगा.'