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ISRO इस स्‍पेशल प्रोजेक्‍ट पर दिन-रात मेहनत कर रहा, जानिए क्या है वजह

रॉकेट में पिगी बैक पेलोड, स्वदेश में विकसित विक्रम कंप्यूटर चिप थे जो भविष्य के रॉकेट में उपयोग किए जाएंगे.' उनके अनुसार, 'प्रमुख मिशन चंद्रयान-2 या दूसरा चंद्र मिशन होगा जो इसी साल 9-16 जुलाई को हो सकता है.'

Updated on: 22 May 2019, 11:52 AM

highlights

  • इसरो कर रहा है एक और नई तैयारी
  • बुधवार की सुबह RISAT-2B की सफल लांचिंग
  • मौसम और दुश्मनों पर आसानी से होगी नजर

नई दिल्ली:

भारत का रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (RISAT-2B) बुधवार की सुबह सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित हो गया. इसके साथ ही इसरो के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में एक और बात बताई कि 'सामरिक क्षेत्रों के लिए उपग्रहों की मांग बढ़ गई है. लिहाजा हमारी योजना लगभग छह उपग्रहों को बनाने की है.' इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने इस सफलता पूर्वक लांचिंग के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि, 'मैं यह घोषणा करते हुए बहुत खुश हूं कि पीएसएलवी-सी46 ने आरआईएसएटी-2बी को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है.'

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस लांचिंग के बाद कहा कि भारत का नया निगरानी उपग्रह बेहतर और क्लियर फोटोज भेजेगा जिनका उपयोग कृषि, वन विभाग और आपदा प्रबंधन में सहयोग में किया जा सकेगा. उपग्रह से ली गई तस्वीरों का उपयोग खुफिया निगरानी के लिए भी किया जाएगा, हालांकि इसरो इस मुद्दे पर अभी चुप है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मिशन के साथ उड़ान भरने के साथ ही पीएसएलवी रॉकेट ने 50 टन वजन की सीमा को पार कर दिया है. सिवान के अनुसार, पीएसएलवी रॉकेट ने कक्षा में 350 उपग्रह स्थापित कर दिए हैं.

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सिवान ने आगे कहा, 'रॉकेट में पिगी बैक पेलोड, स्वदेश में विकसित विक्रम कंप्यूटर चिप थे जो भविष्य के रॉकेट में उपयोग किए जाएंगे.' उनके अनुसार, 'प्रमुख मिशन चंद्रयान-2 या दूसरा चंद्र मिशन होगा जो इसी साल 9-16 जुलाई को हो सकता है.' इसके बाद एक हाई रिजोल्यूशन काटरेग्राफी सैटेलाइट का लांच होगा और स्माल सैटेलाइट लांच व्हीकल (SSLV) नाम के इसरो (ISRO) के नए रॉकेट की भी उड़ान होगी. इस 44.4 मीटर लंबे और 190 टन वजनी पीएसएलवी (PSLV) रॉकेट ने बुधवार सुबह 5.30 बजे 615 किलोग्राम वजनी उपग्रह RISAT-2B को लेकर आकाश की तरफ उड़ान भर दी. उड़ान भरने के लगभग 15 मिनट बाद रॉकेट ने RISAT-2B को 555 किलोमीटर दूर कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.