अमेजन का बाजार पूंजीकरण 45 अरब डॉलर घटा, Walmart का 5 अरब डॉलर
अमेजन और वालमार्ट दोनों के शेयरों में शुक्रवार को क्रमश: पांच फीसदी और दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और दोनों कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में संयुक्त रूप से 50 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई.
नई दिल्ली:
अमेजन और वालमार्ट दोनों के शेयरों में शुक्रवार को क्रमश: पांच फीसदी और दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और दोनों कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में संयुक्त रूप से 50 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई. विश्लेषकों ने कहा कि इन कंपनियों के शेयरों में गिरावट उनके भारतीय कारोबार के सामने पैदा हुई अड़चनों के बाद आई है, जहां ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए नए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को शुक्रवार से लागू किया गया.
नासडेक पर अमेजन के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में 45 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई, जबकि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई) पर वालमार्ट के मार्केट कैप में पांच अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार के कारोबार के अंत में अमेजन का मार्केट कैप 798.81 अरब डॉलर और वालमार्ट का 272.69 अरब डॉलर रहा.
नासडेक पर अमेजन के शेयरों में 5.38 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो शुक्रवार को 1626.23 रुपये प्रति शेयर की दर पर बंद हुआ, जबकि एनवाईएसई पर वालमार्ट का शेयर 2.06 फीसदी की गिरावट के साथ 93.86 रुपये प्रति शेयर की दर पर बंद हुआ.
नए नियमों के तहत भारत में ई-टेलर्स को उन उत्पादों को बेचने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिसमें उनकी हिस्सेदारी हो. इसके बाद अमेजन इंडिया ने कई उत्पाद अपनी वेबसाइट से हटा लिए हैं और वे 'वर्तमान में अनुपलब्ध' दिख रहे हैं.
अमेजन और वालमार्ट दोनों ने नए नियमों को लागू करने की समय सीमा छह माह के लिए बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए नए नियमों को फरवरी से लागू कर दिया.
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नए नियम दिसंबर में जारी किए गए थे, जिसके तहत ऑनलाइन रिटेलरों द्वारा किसी कंपनी के उत्पाद एक्सक्लूसिव रूप से बेचने पर रोक लगा दी गई है. वाणिज्य मंत्रालय ने नए नियमों में यह भी कहा कि ऑनलाइन रिटेल कंपनियां वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की कीमत को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं करेगी और सभी विक्रेताओं के लिए समान अवसर प्रदान करेगी.
हालांकि वालमार्ट और अमेजन जैसे प्रमुख हितधारकों ने समय सीमा में विस्तार की मांग की थी, वहीं, अन्य कंपनियों जैसे स्नैपडील और कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की अगुवाई में ऑफलाइन रिटेलरों ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया.
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