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26 जनवरी को ही क्‍यों मनाया जाता है Republic Day,जानें इसके पीछे क्‍या है वजह

गणतंत्र दिवस के लिए 26 जनवरी का दिन ही क्‍यों चुना गया. आइए जानते हैं इसके पीछे क्‍या थी वजह...

Updated on: 22 Jan 2019, 10:38 AM

नई दिल्‍ली:

अगर जन्‍म, मृत्‍यु, घटना और दुर्घटना को छोड़ दें हर तीज-त्‍योहार को मनाए जाने की तारिख तय होने के पीछे एक खास वजह होती है. इस बार हम 70वां गणतंत्र दिवस (Republic Day 2019) मनाने जा रहे हैं. बातचीत में अक्‍सर लोग पूछ देते हैं कि 26 जनवरी कब है. भाई 26 जनवरी तो 26 जनवरी को ही पड़ेगा. दरअसल गणतंत्र दिवस (Republic Day) और 26 जनवरी अपने देश में एक दूसरे के पर्याय हैं. 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा की ओर से संविधान अपनाया गया और इसे लागू किया गया 26 जनवरी 1950 को. अब सवाल उठता है कि इसे 26 नवम्बर 1949 को भी लागू किया जा सकता था लेकिन इसके लिए 26 जनवरी का दिन ही क्‍यों चुना गया. आइए जानते हैं इसके पीछे क्‍या थी वजह...

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दरअसल 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था. 26 जनवरी को ही 1950 में भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था.26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराया जाता है. इस अवसर पर हर साल एक भव्य परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन (राष्ट्रपति के निवास) तक राजपथ पर राजधानी, नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है. इस भव्य परेड में भारतीय सेना के विभिन्न रेजिमेंट, वायुसेना, नौसेना आदि सभी भाग लेते हैं.

राजपथ पर दिखती है देश की आन, बान और शान

परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति (सैनिकों के लिए एक स्मारक) जो राजपथ के एक छोर पर इंडिया गेट पर स्थित है पर पुष्प माला डालते हैं. इसके बाद शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट मौन रखा जाता है. इसके बाद प्रधानमंत्री, अन्य व्यक्तियों के साथ राजपथ पर स्थित मंच तक आते हैं, राष्ट्रपति बाद में अवसर के मुख्य अतिथि के साथ आते हैं. परेड में विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनी भी होती हैं, प्रदर्शनी में हर राज्य के लोगों की विशेषता, उनके लोक गीत व कला का दृश्यचित्र प्रस्तुत किया जाता है.

ये है इतिहास

1929 में लाहौर में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि अगर ब्रिटिश हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमीनियन का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा.

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26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया.

भारत के स्‍वतंत्र होने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से शुरू कर दिया. संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया, इसलिए 26 नवम्बर दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है.

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कई सुधार और बदलाव के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए. इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया. 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई.