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पांडवों के जीवन में नहीं आई थी सोमवती अमावस्या, तरसते रहे थे पूजा को

आज सोमवती अमावस्या का पावन दिन है । इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है और इसमें भगवान शिवजी की आराधना, पूजन-अर्चना किया जाता है।

Updated on: 21 Aug 2017, 12:05 PM

नई दिल्ली:

सोमवार को सोमवती अमावस्या का पावन दिन है। सोमवती अमावस्या हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है और इस दिन भगवान शिवजी की आराधना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त हो जाता है और नदी स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।

वहीं, इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पतियों की दीर्घायु की कामना के लिए व्रत कर विधि- विधान से पूजा भी करती है। इसके अलावा स्त्रियां पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं। वहीं, इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है।

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पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान करने की भी परंपरा है। जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं और शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर सोमवती अमावस्या का पुण्य ले सकते है।

बताया जाता है कि पांडवों के संपूर्ण जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई। वह सोमवती अमावस्या के लिए तरसते ही रह गए थे।

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