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Sawan Shivratri 2018: इस मुहूर्त पर जल चढ़ाने का है विशेष लाभ, जानिए शुभ संयोग

हिंदू मान्यता में सावन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है।इस दिन कांवड़ यात्रा कर जल लाने वाले भगवान शिव के भक्त अपने शिवालयों में जल चढ़ाते है।

Updated on: 09 Aug 2018, 11:43 AM

नई दिल्ली:

सावन की शिवरात्रि पर शिव का जलाभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। 9 अगस्त को मनाई जारी शिवरात्रि पर विशेण संयोग बन रहा है। इस बार सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल लगने वाला है। इस प्रदोष काल में शिव का पूजन और जल चढ़ाने से विशेष लाभ मिलता है। सूर्यास्त के बाद तीन पहर तक प्रदोष काल माना जाता है। ऐसे में सूर्यास्त से लेकर रात 9 बजे की शिव पर जल चढ़ाने और पूजा अर्चना करने से फायदा मिलता है।  

गुरुवार को शिवरात्रि की शुरूआत दोपहर 12 बजे से 12:48 मिनट तक रहेगी। इस समय निशिता कल की पूजा की जाएगी। उसके बाद 10 अगस्त को सुबह 5:51 लेकर दोपहर 3:43 मिनट तक शिवरात्रि रहेगी। माना जाता है कि इस समय शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

इस सर्वार्थसिद्धि योग के दौरान शिव की पूजा करने वालों इच्छित फल मिलता है। यह योग 28 सालों बाद पड़ रहा है। प्रदोष काल में पूजन करने की कुल अवधि इस बार 43 मिनट की है।

जलाभिषेक के समय 

रात्रि के पहले पहर में 7: 02 बजे से रात 9:44 बजे तक
रात्रि के दूसरे पहर में 9: 44 बजे से रात 12:26 बजे तक
रात्रि के तीसरे पहर में 00: 26 बजे से रात 3:09 बजे तक
रात्रि के चौथे पहर में 3: 09 बजे से रात 5:51 बजे तक

पूजा विधि

शिवरात्रि की सुबह से ही भगवान भोले नाथ की पूजा अर्चना से शुरूआत करनी चाहिए। सुबह नहा-धोकर  भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, भांग, शहद आदि अर्पित कर विशेष पूजन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे परिवार की स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं।

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कांवड़ का जल चढ़ाने से लाभ 

सावन के दौरान भगवान भोलेनाथ के भक्तों मीलो पैदल चल कर गंगाजल लेकर शिव पर चढ़ाने के लिए लाते है। इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना को पूरी कर देते है।