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Kumbh mela 2019 : जानें क्या होता है नागा साधुओं का 17वां श्रृंगार

नागा साधु बनने के लिए भी उन्हें बहुत कठिन नियमों का अनुपालन करना होता है, जो एक साधारण मानव के सोच से भी परे होतो है.

Updated on: 31 Dec 2018, 09:00 AM

नई दिल्ली:

नागा साधुओं के जीवन को जानने के लिए हम सभी हमेशा से ही लालायित रहते हैं. वह क्या खाते हैं कहां सोते हैं या कहा रहते हैं बगैरह-बगैरह. इसलिए आज हम आपको बताएंगे नागा साधु और उनके जीवन के बारे में. दोस्तों नागाओं का जीवन  जितना रहस्यमयी होता है उतना ही कठिन भी होता है. नागा साधु बनने के लिए भी उन्हें बहुत कठिन नियमों का अनुपालन करना होता है, जो एक साधारण मानव के सोच से भी परे होतो है. आइए जानते हैं नागाओं के जीवन से जुड़े रहस्य...

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कपड़ों का कर देते हैं त्याग

नागाओं को अपने शरीर से व भौतिक चीजों से कोई लगाव नहीं होता. नागा साधु आत्मा की पवित्रता पर यकीन करते हैं और कपड़ों का त्याग कर देते हैं.

करते हैं 17 श्रृंगार

नागा साधु 17 तरह के श्रृंगार से खुद को सजाते हैं. कुंभ में तेरह अखाड़ों के हजारों नागा साधु आते हैं इन सभी के लिए इनका श्रृंगार बहुत ही खास अनूठा और आकर्षण का केंद्र होता है. जिसकी अपनी एक अलग विधि है. वे खास मौंकों पर ही इतना सजते हैं और अपने ईष्ट देव विष्णुजी या शंकरजी की आराधना करते हैं. इनका 17वां श्रृंगार बहुत खास माना जाता है. जो इन्हें महिलाओं से एक कदम आगे रखता है. वह है भस्मी अर्थात भभूति श्रृंगार.

नागाओं की दिनचर्या

नागा साधु सुबह चार बजे से बिस्तर छोड़ देते हैं. नित्य क्रिया व स्नान आदि के बाद नागाओं का पहला काम श्रृंगार करना होता है. इसके बाद हवन, ध्यान, बज्रोली, प्राणाायाम, कपाल क्रिया व नौली क्रिया नागाओं का महत्वपूर्ण कान है. नागा दिन भर में केवल एक बार शाम को भोजन करते हैं और इसके बाद सोने चले जाते हैं.

लिंग भंग

नागाओं को 24 घंटे नागा रूप में अखाड़े के ध्वज के नीचे बिना आहार के खड़ा होना पड़ता है. इस दौरान उनके कंधे पर एक दंड और हाथों में मिट्टी का बर्तन होता है. इस प्रक्रिया के दौरान अखाड़े के पहरेदार उन पर नजर भी रखते हैं. इसके बाद अखाड़े के साधु दीक्षा ले रहे नागा के लिंग को वैदिक मंत्रों के साथ झटके देकर निष्क्रिय कर देते हैं. इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही कोई नागा साधु बन पाता है.