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हनुमान जयंती 2019ः ...और प्रभु श्रीराम निकल गए थे अपने परम भक्‍त हनुमान को मारने

एक बार गुरु विश्वामित्र किसी वजह से हनुमानजी से नाराज हो गए और उन्होंने श्री राम को हनुमान को मारने के लिए कहा.

Updated on: 19 Apr 2019, 10:35 AM

नई दिल्‍ली:

भगवान हनुमान का प्राकट्य चैत्र माह की पूर्णिमा को हुआ था. कुछ लोग मानते हैं कि इनका अवतरण छोटी दीपावली को हुआ था. हनुमान जी जयंती पर हनुमान जी की विशेष पूजा उपासना करने का प्रावधान है. ऐसा करके हम अपने जीवन में आने वाली तमाम बाधाओं को दूर कर सकते हैं. शुक्रवार 19 अप्रैल 2019 को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जायेगा.

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भगवान हनुमान प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे. परम भक्त होने के बावजूद हनुमान ने श्रीराम के साथ युद्ध भी किया था. एक बार गुरु विश्वामित्र किसी वजह से हनुमानजी से नाराज हो गए और उन्होंने श्री राम को हनुमान को मारने के लिए कहा. क्योंकि वह गुरु की आज्ञा नहीं टाल सकते थे, इसलिए उन्होंने अपने भक्त पर प्रहार किए. इस दौरान हनुमान लगातार राम नाम जपते रहे. राम नाम उनका कवच बना गया और उनके ऊपर किसी प्रहार का असर नहीं हुआ. भगवान राम के सारे शस्त्र बेकार हो गए.

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महाभारत काल में कुंती ने भी पवनदेव के माध्यम से ही भीम को जन्म दिया था. इस तरह से भीम औऱ हनुमान जी भाई माने जाते हैं. सबसे पहले विभीषण ने हनुमान की शरण में आने के लिए उनकी स्तुति की थी और एक अचूक स्तोत्र की रचना की थी. पौराणिक कथा के अनुसार उन्होनें हिमालय पर जाकर उस पर अपने नाखूनों से रामायण लिखी थी. जब बाल्मीकि जी हिमालय पर गए तो उन्हें वहां पर पहले से ही लिखी हुई रामायण मिली. हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी के रूप में पहचाना जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका मकरध्वज नाम का एक पुत्र भी था.

पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्‍यान

हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. चन्दन, केसरी, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी चढ़ती है. इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, क्योंकि यह बुरी शक्तियों का विनाश करने और मन को शान्ति प्रदान करने की क्षमता रखती है. हनुमान अवतार को महान शक्ति, आस्था, भक्ति, ताकत, ज्ञान, दैवीय शक्ति, बहादुरी, बुद्धिमत्ता, निःस्वार्थ सेवा-भावना आदि गुणों के साथ भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना जाता है.

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इस दिन व्रत रखने से माता लक्ष्मी आप पर मेहरबान होती हैं. इसके बाद यज्ञोपवीत धारण करके किसी सिद्ध हनुमान मंदिर में जाकर चमेली का तेल या घी चढ़ायें और दिया जलायें, फिर हनुमान जी का श्रंगार करके चोला चढ़ाएं. हनुमान जयंती के दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. मिट्टी के दीपक से आरती करें और उस मिट्टी के दीपक पर चार दाने उड़द की दाल डाल कर उनसे शुभ मंगल की कामना के लिए प्रार्थना करें.

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हनुमान भक्त हनुमान जी की प्रार्थना उनके जैसा बल, बुद्धि, ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते हैं. इनके भक्तों के द्वारा इनकी पूजा बहुत से तरीकों से की जाती है; कुछ लोग अपने जीवन में शक्ति, प्रसिद्धी, सफलता आदि प्राप्त करने के लिए बहुत समय तक इनके नाम का जाप करने के द्वारा ध्यान करते हैं.