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हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज में ये है अंतर

साल में तीन तरह के तीज पर्व के रूप में मनाएं जाते हैं. सभी तीजों पर भगवान शिव और माता पार्वती की ही पूजा की जाती है.

Updated on: 16 Aug 2019, 04:38 PM

नई दिल्‍ली:

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को इस साल कजरी तीज पड़ रही है. कजरी तीज (Kajari Teej 2019) का पर्व इस साल 18 अगस्त को पड़ रहा है. साल में तीन तरह के तीज पर्व के रूप में मनाएं जाते हैं. सभी तीजों पर भगवान शिव और माता पार्वती की ही पूजा की जाती है. तीनों तीजों, हरियाली तीज (Hariyali Teej), कजरी तीज (Kajari Teej)और हरतालिका तीज (Hartalika Teej)का व्रत अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है. इसके बावजूद इन तीनों तीजों में बड़ा अंतर हैं तो आइए जानते हैं इनमें क्‍या है अंतर..

कजरी तीज का महत्व

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाली तीज को कजरी तीज का महत्व (Kajari Teej) के नाम से जाना जाता है. इस तीज को कजली तीज, सातूड़ी तीज और भादो तीज के नाम से भी जाना जाता है. विवाहित महिलाएं इस व्रत को अखंड सौभाग्यवती रहने के लिए करती हैं. वहीं कुंवारी कन्याएं मनपंसद वर प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखती हैं. इस तीज के पीछे एक पौराणिक कथा भी मौजूद है. मध्य भारत में कजली नाम का एक वन था.

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वहां के लोग कजली के नाम पर बहुत सारे गीत गाया करते थे. एक बार वहां के राजा की मृत्यु हो गई, जिसके बाद वहां की रानी भी राजा के साथ सती हो गई. तब से लोग कजली के गीत पति और पत्नी के प्रेम से जोड़कर गाने लगे. कजरी तीज पर गायों की पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है. शाम को व्रत तोड़ने से पहले महिलाएं सात रोटियों पर चना और गुड़ रखकर गायों को खिलाती हैं.

हरतालिका तीज

तीनों तीजों में सबसे ज्‍यादा महत्‍व हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का है. इसके पीछे मान्‍यता ये है कि पर्वतराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करना चाहते थे, लेकिन पार्वती बचपन से ही महादेव को अपना पति मान चुकी थी. इसलिए उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगा नदी के तट पर गुफा में जाकर शिव जी की आराधना शुरू कर दी. माता पार्वती ने अन्न जल त्याग कर कठिन उपवास रखा. यह सब देखकर भोलेनाथ का आसन डोल गया और भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र में शिवजी ने माता पार्वती को दर्शन दिए. उसके बाद माता पार्वती ने पूजा की सभी सामग्री नदी में प्रवाहित कर दी और अपना उपवास तोड़ दिया. इसलिए हरतालिका तीज पर महिलाएं मंडप सजाकर बालू से शिव जी और पार्वती जी की प्रतिमा बनाकर उनका गठबंधन करती हैं. 1 सितंबर 2019 को हरतालिका तीज पड़ रही है.

हरतालिका पूजा मुहूर्त- सुबह 8 बजकर 27 मिनट से 8 बजकर 37 मिनट तक

प्रदोष काल हरतालिका पूजा मुहूर्त - शाम 6 बजकर 39 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक

तृतीया तिथि प्रारंभ- सुबह 8 बजकर 27 मिनट से (1 सितंबर 2019 )

तृतीया तिथि समाप्त- अगले दिन सुबह 4 बजकर 47 मिनट तक (2 सितंबर 2019)

हरियाली तीज

हरियाली तीज का महत्व (Hariyali Teej) हरियाली तीज पर भी सुहागन स्त्रियां व्रत रखती हैं. हरियाली तीज का क्रेज शहरों में अधिक है. सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं बिना अन्न जल ग्रहण किए इस कठिन व्रत को करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं.