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पारसी समुदायों में नवरोज की धूम, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दी बधाई

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पारसी समुदाय को पारसी नववर्ष यानी नवरोज की शुभकामनाएं दी

Updated on: 17 Aug 2019, 04:08 PM

नई दिल्ली:

पारसी समुदाय आज यानी 17 अगस्त को नवरोज हर्षोल्लास से मना रही है. नवरोज को पारसी नववर्ष भी कहा जाता है. पारसी नववर्ष आस्था और उत्साह का संगम है. पारसी समाज का नववर्ष अगस्त महीने में मनाया जाता है. इस बार यह त्योहार 17 अगस्त को मनाया जा रहा है. इस शुभ अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पारसी समुदाय को पारसी नववर्ष यानी नवरोज की शुभकामनाएं दी है. उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि आने वाले साल में खुशहाली, सुख, शांति, सद्भाव और भाईचारे बना रहे. 

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इतिहास 

1380 ईस्वी पूर्व जब ईरान में धर्म-परिवर्तन की लहर चली तो कई पारसियों ने अपना धर्म परिवर्तित कर लिया, लेकिन जिन्हें यह मंजूर नहीं था वे देश छोड़कर भारत आ गए. यहां आकर उन्होंने अपने धर्म के संस्कारों को आज तक सहेजे रखा है. सबसे खास बात यह है कि समाज के लोग धर्म-परिवर्तन के खिलाफ होते हैं. अगर पारसी समाज की लड़की किसी दूसरे धर्म में शादी कर ले तो उसे धर्म में रखा जा सकता है, लेकिन उसके पति और बच्चों को धर्म में शामिल नहीं किया जाता है. ठीक इसी तरह लड़कों के साथ भी होता है. लड़का भी यदि किसी दूसरे समुदाय में शादी करता है तो उसे और उसके बच्चों को धर्म से जुड़ने की छूट है, लेकिन उसकी पत्नी को नहीं.

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पारसी समाज के लोगों को एक सूत्र में पिरोए रखने के लिए उन्होंने कभी भी गलत राह नहीं पकड़ी. आज भी पारसी समाज बंधु अपने धर्म के प्रति पूर्ण आस्था रखते हैं. नववर्ष और अन्य पर्वों के अवसर पर लोग पारसी धर्मशाला में आकर पूजन करते हैं. पारसियों के लिए यह दिन सबसे बड़ा होता है. इस अवसर पर समाज के सभी लोग पारसी धर्मशाला में इकट्ठा होकर पूजन करते हैं. समाज में वैसे तो कई खास मौके होते हैं. जब सब आपस में मिलकर पूजन करने के साथ खुशियां भी बांटते हैं, लेकिन मुख्यतः 3 मौके साल में सबसे खास हैं. एक खौरदाद साल, प्रौफेट जरस्थ्रु का जन्मदिवस और तीसरा 31 मार्च. इराक से कुछ सालों पहले आए अनुयायी 31 मार्च को भी नववर्ष मनाते हैं.

परंपरा

नववर्ष पारसी समुदाय में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. धर्म में इसे खौरदाद साल के नाम से जाना जाता है. पारसियों में 1 वर्ष 360 दिन का और शेष 5 दिन गाथा के लिए होते हैं. गाथा यानी अपने पूर्वजों को याद करने का दिन. साल खत्म होने के ठीक 5 दिन पहले से इसे मनाया जाता है. इन दिनों में समाज का हर व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पूजन करता है. इसका भी एक खास तरीका है. रात 3.30 बजे से खास पूजा-अर्चना होती है. धर्म के लोग चांदी या स्टील के पात्र में फूल रखकर अपने पूर्वजों को याद करते हैं. पारसी नववर्ष का त्योहार दुनिया के कई हिस्सों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जिसमें ईरान, पाकिस्तान, इराक, बहरीन, ताजिकिस्तान, लेबनान तथा भारत में भी यह दिन विशेष तौर पर मनाया जाता है.