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Christmas Day 2018: जानें 25 दिसंबर को ही क्यों मनाते है क्रिसमस, क्या है Santa Claus की कहानी

विश्व के लगभग सौ देशों में क्रिसमस का त्यौहार बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. अमेरिका में 1870 से क्रिसमस के दिन को राजकीय अवकाश रखा जाता है.

Updated on: 25 Dec 2018, 07:01 AM

नई दिल्ली:

25 दिसंबर यानि की क्रिसमस डे (Christmas day) आने में अब कुछ ही दिन बाकी है. ऐसे में बाजार रंग-बिरंगे लाईट, क्रिसमस ट्री (Xmas tress), और सांता क्लॉज़ (Santa Claus) से सज चुका है. लोग अभी से इस दिन को खास बनाने के लिए जमकर खरीददारी कर रहे है. कोई क्रिसमस ट्री तैयार कर रहा, कोई केक काटने और पार्टी करने की तैयार कर रहा है. ऐसे तो क्रिसमस डे ईसाईयों का प्रमुख त्यौहार माना जाता है लेकिन हर कोई इस दिन को सेलिब्रेट करता है. 25 दिसंबर को गिफ्ट देने की भी परंपरा है. लेकिन क्या आप जानते हैं क्रिसमस मनाने की शुरुआत कैसे हुई. आज हम आपको बताने जा रहे हैं. क्रिसमस मनाने की शुरुआत कहां हुई.

पहली बार इस दिन मनाया गया क्रिसमस

माना जाता है कि यीशु के जन्मदिन का आधिकारिक तौर पर रोमन कैलंडर के अनुसार पहली बार 336 इसवीं को 25 दिसम्बर के दिन मनाया गया, जिसके बाद से हर साल 25 दिसम्बर को क्रिसमस मनाया जाता है. रोमन कैलेंडर के अनुसार कई लोग 25 दिसम्बर को क्रिसमस मनाने लगे लेकिन कुछ लोग अब भी ईस्टर को एक मुख्य त्यौहार के रूप में मनाते थे. 1870 से ब्रिटेन ने भी राजकीय अवकाश शुरू कर दिया गया.

यीशू का जन्म और इतिहास

बताया जाता है कि यीशु के जन्म से पहले ये भविष्यवाणी हो गयी थी कि धरती पर एक ईश्वर का पुत्र जन्म लेगा, जो दुनिया का उद्धार करेगा. यीशु का जन्म एक गौशाला में हुआ था, जिसकी पहली खबर गडरियो को मिली थी और उसी समय एक तारे ने ईश्वर के जन्म की भविष्यवाणी को सत्य किया. 30 वर्ष की आयु तक उन्होंने कई जगहों पर घूमकर लोगों की सेवा की. उनके अदृभुत चमत्कारों हर कोई मुरीद था. यीशु को उनकी मृत्यु का भी पूर्वाभास हो गया था और उन्होंने अपने अनुयायियो को ये सब बात बताई थी. उन्होंने क्रूस पर झूलते हुए भी उनको मारने वाली लोगों के लिए ईश्वर से प्राथना मांगी थी कि प्रभु इन्हें क्षमा कर देना, ये नादान हैं.

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सांता क्लॉज़ का भी विशेष महत्व

वहीं इस दिन सांता क्लॉज़ का भी विशेष महत्व होता है, इसकी परंपरा क्रिसमस के साथ काफी बाद में जुड़ी. कहा जाता है कि मध्ययुग में संत निकोलस (जन्म 340 ई.) का जन्म दिवस 6 दिसंबर को मनाया जाता था और यह मान्यता थी कि इस रात को संत निकोलस बच्चों के लिए तरह-तरह के उपहार लेकर आते हैं. यही संत निकोलस अमेरिकी बच्चों के लिए 'सांता क्लॉज़' बन गए और वहां से यह नाम संपूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो गया.

विश्व के लगभग सौ देशों में मनाया जाता है क्रिसमस

विश्व के लगभग सौ देशों में क्रिसमस का त्यौहार बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. अमेरिका में 1870 से क्रिसमस के दिन को राजकीय अवकाश रखा जाता है. इस दिन को ईसाईयों के साथ सभी धर्मों के लोग बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं. इस पर्व को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाते हैं, जिन्होंने अपने चमत्कारों से दुनियाभर में इस धर्म की नीव रखी थी। इस दिन लोग क्रिसमस पेड़ सजाते हैं,उपहार बांटते हैं और साथ में भोजन इत्यादि करते हैं.

प्रभु ईसा मसीह के जन्म का वास्तविक दिन का इतिहास तो अब तक पता नहीं चल सका है, क्योंकि प्रभु ईसा मसीह के जन्म के तीन शताब्दियों तक उनका जन्मदिन नहीं मनाया जाता था. बाइबिल में भी कहीं पर भी प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन का वास्तविक दिन नहीं लिखा हुआ है. प्रभु यीशु केवल के जन्म पर उपस्थित गडरिये सर्दी और बसंत के बीच को ही उनका जन्मदिन मानते थे.