चैत्र नवरात्रि 2018: पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा से होती है संतान और धन की प्राप्ति
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। माता दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं।
नई दिल्ली:
नवरात्रि के मां दुर्गा के नवस्वरूपों का आज पांचवा दिन है। माता की पूजा के लिए नवरात्र का पांचवा दिन खास है। यह दिन स्कंदमाता का होता है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण देवी को स्कंदमाता कहा जाता है। सच्चे मन से मां की पूजा करने मां अपने भक्तों को यश, धन और संतान की प्राप्ति होती है।
मां स्कंद माता भगवान स्कंद को गोद में लिए हुए हैं। मां का यह स्वरूप वात्सल्य की प्रतिमूर्ति मां स्कंदमाता अपने भक्तों को अपने बच्चे के समान मानती हैं। मां की पूजा करने से भगवान स्कंद की पूजा भी हो जाती है। जो व्यक्ति मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना करता है, मां उसकी गोद हमेशा भरी रखती हैं।
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मां का स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। माता दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं। कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। शेर पर सवार होकर माता दुर्गा अपने पांचवें स्वरुप स्कन्दमाता के रुप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
कैसे करें मां की आराधना
स्कंदमाता को कमल का फूल जरूर चढ़ाएं। मां को चम्पा का फूल चढ़ाकर प्रसन्न कर सकते हैं। इसके साथ ही ऊं देवी स्कन्दमातायै नम: का जाप करें। इस दिन माता को अलसी का भोग और केले का भोग जरूर लगाएं। मां स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद इस मंत्र का जाप करने से भक्त पर मां का कृपा सदैव बनी रहती है।
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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