मौनी अमावस्या 2018: जानें इस दिन क्यों रहते हैं मौन, व्रत का है खास महत्व
माघ महीने में गंगा में स्नान करने का बहुत महत्व है। ऐसे में इलाहाबाद के संगम में करीब डेढ़ से ढाई करोड़ लोग आस्था की डुबकी लगाएंगे।
नई दिल्ली:
माघ महीने में आज (16 जनवरी) सबसे बड़ी अमावस्या का स्नान है। इसकी खास बात यह है कि इस दिन मौन रहकर पूजा-पाठ और व्रत किया जाता है। मौनी अमावस्या को भौमवती और मौन अमावस्या भी कहा जाता है।
माघ महीने में गंगा में स्नान करने का बहुत महत्व है। ऐसे में इलाहाबाद के संगम में करीब डेढ़ से ढाई करोड़ लोग आस्था की डुबकी लगाएंगे। वहीं जो लोग गंगा में स्नान करने नहीं जा पाते, वो घर में तड़के नहाकर गंगाजल की बूंदे खुद पर छिड़क सकते हैं। मान्यता है कि मौनी अमावस्या का व्रत रखने से देवताओं से पुण्य की प्राप्ति होती है। पितरों को शांति मिलती है।
क्यों रहते हैं मौन
मान्यताओं के अनुसार, जिस तरह साधु-संत मौन रहकर भगवान को याद करते हुए तप करते थे, ठीक वैसे ही अमावस्या पर ईश्वर को याद किया जाता है। मन को शांत रखने के लिए भी यह व्रत रखा जाता है।
जानें कब शुरू होगा व्रत
मौनी अमावस्या का आरंभ 16 जनवरी को सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर होगा। 17 जनवरी को सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर व्रत संपन्न हो जाएगा।
कैसे करें पूजा
सबसे पहले गंगा या फिर घर में नहाने के बाद विष्णु जी का ध्यान करते हैं। स्नान के साथ ही व्रत शुरू हो जाता है। ऐसे में मन में मंत्र का जाप करें। फिर 108 बार तुलसी की परिक्रमा करें। पूजा के बाद अन्न, वस्त्र, गाय, धन और भूमि का दान करें।
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