logo-image

महाशिवरात्रि 2017 पूजा विधि : इस शुभ मुहुर्त में करें भोले नाथ की पूजा, पूरी होगी मनोकामना

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदु धर्म के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था।

Updated on: 24 Feb 2017, 12:24 AM

नई दिल्ली:

देवों के देव महादेव के बारें में कहा जाता है कि वह जिस पर भी प्रसन्न हो जाते हैं, उसे खुशियों से मालामाल कर देते हैं। शिव पुराण के अनुसार, शिव शंकर को ही जल्द मनोकामना पूर्ण करने वाले भगवान का दर्जा प्राप्त है। अगर आप भी भगवान शिव के भक्त हैं और उनकी पूजा करते हैं, तो इस 24 फरवरी 2017 को महाशिवरात्रि पर किसी भी प्रहर भोले बाबा की आराधना करें। मां पार्वती और भोले त्रिपुरारी दिल खोलकर कर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदु धर्म के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था।

प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं, इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।

महाशिवरात्रि का समय

महाशिवरात्रि: 24 फरवरी

निशिथ काल पूजा: 24:08 से 24:59

पारण का समय: 06:54 से 15:24 (फरवरी)

चतुर्दशी तिथि आरंभ:  21:38 (24 फरवरी)

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 21:20 (25 फरवरी)

महाशिवरात्रि की कथा

महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्त बड़ी धूमधाम से शिव शंकर की पूजा करते हैं। भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर इच्छित फल की कामना करते ​हैं। इसके साथ ही लोग उपवास तथा रात को जागरण करते हैं। शिवलिंग पर बेल-पत्र चढ़ाना, उपवास करना तथा रात्रि में जागरण करना बेहद खास माना जाता है। हिंदु पुराण के अनुसार, इस दिन शिव का विवाह हुआ था, इसलिए रात्रि में शिवजी की बारात निकाली जाती है।

वास्तव में शिवरात्रि का परम पर्व स्वयं परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की याद दिलाता है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, स्त्री-पुरुष, बालक, युवा और वृद्ध सभी इस व्रत को कर सकते हैं। इस व्रत के विधान में सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास रखा जाता है।

शिवरात्रि उपवास का अर्थ है भगवान भोले के समीप रहना। जागरण का सच्चा अर्थ भी काम, क्रोध आदि पांच विकारों के वशीभूत होकर अज्ञान रूपी कुम्भकरण की निद्रा में सो जाने से स्वयं को सदा बचाए रखना है।

इस कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है, इसलिए प्राय: ज्योतिषी शिवरात्रि को शिव अराधना कर कष्टों से मुक्ति पाने का सुझाव देते हैं। शिव आदि-अनादि है। सृष्टि के विनाश और पुन:स्थापन के बीच की कड़ी हैं। ज्योतिष में शिव को सुखों का आधार मान कर महाशिवरात्रि पर अनेक प्रकार के अनुष्ठान करने की महत्ता कही गई है।

ये भी पढ़ें, जानें, सबसे पहले कैसे और कहां हुई थी शिवलिंग की स्थापना

ऐसे करें महाशिवरात्रि में पूजा

इस दिन शिव की पूजा करने के लिए सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ायें। इसके साथ ही अगर घर के आस-पास में कोई शिवालय न हो, तो शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिवलिंग बनाकर भी उसे पूजा जा सकता है।

वहीं इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए। रात्रि को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हरेक व्रती का धर्म माना गया है। इसके बाद अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।

उपवास करने से होते हैं ये फायदे

यह दिन भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। यह अपनी आत्मा को पवित्र करने का महाव्रत है। इस व्रत को करने से सब पापों का नाश हो जाता है।

ये भी पढ़ें, शिव के अर्धनारीश्वर रूप के पीछे छिपा है ये वैज्ञानिक रहस्य

पूजा का विधान

महाशिवरात्रि को दिन-रात पूजा का विधान है। चार पहर दिन में शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र चढ़ाने से शिव की अनंत कृपा प्राप्त होती है। साथ ही चार पहर रात्रि में वेदमंत्र संहिता, रुद्राष्टा ध्यायी पाठ ब्राह्मणों के मुख से सुनना चाहिए।

सूर्योदय से पहले ही उत्तर-पूर्व में पूजन-आरती की तैयारी कर लेनी चाहिए। सूर्योदय के समय पुष्पांजलि और स्तुति कीर्तन के साथ महाशिव रात्रि का पूजन संपन्न होता है। उसके बाद दिन में ब्रह्मभोज भंडारा के द्वारा प्रसाद वितरण कर व्रत संपन्न होता है।

इस पर्व का महत्व सभी पुराणों में वर्णित है। इस दिन शिवलिंग पर जल अथवा दूध की धारा लगाने से भगवान की असीम कृपा सहज ही मिलती है। इनकी कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है।

महाशिवरात्रि पर ये भोजन करें?

व्रत के व्यंजनों में सामान्य नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग करते हैं और लाल मिर्च की जगह काली मिर्च का प्रयोग करते हैं। कुछ लोग व्रत में मूंगफली का उपयोग भी नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में आप मूंगफली को सामग्री में से हटा सकते हैं। व्रत में यदि कुछ नमकीन खाने की इच्छा हो, तो आप सिंघाड़े या कुट्टू के आटे के पकौड़े बना सकते हैं। इस व्रत में आप आलू सिंघाड़ा, दही बड़ा भी खा सकते हैं।