Kumbh mela 2019: कुंभ जाने से पहले जान लें वहां क्या करें और क्या न करें
कुंभ मेले का आयोजन चार जगहों हरिद्वार, प्रयागराज(प्रयाग), नासिक और उज्जैन में किया जाता है.
नई दिल्ली:
कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल पर पहुंचकर स्नान करते हैं. कुंभ मेले का आयोजन चार जगहों हरिद्वार, प्रयागराज(प्रयाग), नासिक और उज्जैन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार इन चार विशेष स्थानो पर जिन पर कुंभ मेले का आयोजन होता है. नासिक में गोदावरी नदी के तट पर, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर, हरिद्वार और प्रयाग में गंगा नदी के तट पर. सबसे बड़ा मेला कुंभ 12 वर्षो के अन्तराल में लगता है और 6 वर्षो के अन्तराल में अर्द्ध कुंभ के नाम से मेले का आयोजन होता है. वर्ष 2019 में आयोजित होने वाले प्रयाग में अर्द्ध कुंभ मेले का आयोजन होने वाला है. तो अगर आप भी इस बार धर्म नगरी प्रयागराज में हो रहे अर्द्ध कुंभ में पहुंच रहे हैं तो जाने से पहले आपको जानना चाहिए कि वहां आप क्या करें और क्या न करें.
क्या करें
- हल्के सामान के साथ यात्रा करें.
- यदि डाक्टर के द्वारा सलाह दी गयी है तो दवायें साथ लायें.
- अस्पताल, खाद्य एवं आकस्मिक सेवायें इत्यादि सुविधाओं की जानकारी रखें.
- आकस्मिक सम्पर्क नंबर की जानकारी रखें.
- केवल उन्ही स्नान क्षेत्रों/घाटों का उपयोग करें जो मेला द्वारा प्राधिकृत किये गये हैं.
- उपलब्ध शौचालयों एवं मूत्रालयों का उपयोग करें.
- कचरा निस्तारण हेतु डस्टबिन का उपयोग करें.
- मार्ग खोजने के लिये पथ प्रदर्शक बोर्ड का उपयोग करें.
- वाहनों को खड़ा करने के लिये पार्किंग स्थलों का उपयोग करें और यातायात नियमों का पालन करें.
- मेला क्षेत्र व शहर में रूकने के लिये स्थान के निकटतम स्नान घाटों का उपयोग करें.
- यदि कोई अपरिचित या संदिग्ध वस्तु पायी जाती है तो पुलिस या मेला प्रशासन को सूचित करें.
- जन संचारण तंत्र या किसी अन्य विधा के माध्यम से दिये गये नियमों, विनियमों एवं अनुदेशों का अनुसरण करें.
- मेला आयोजन में कार्यकारी विभागों के साथ सहयोग करें.
- अपने सामानों के प्रति सजग रहें और अपने प्रिय जनों एवं सामन के खोने की स्थिति में खोया पाया केन्द्र पर संपर्क करे.
- कोई यात्रा योजना बनाते समय अतिरिक्त समय शामिल करें.
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क्या न करें
- मूल्यवान, अनावश्यक खाद्य पदार्थ, कपड़े एवं सामान न लायें.
- अजनबी पर विश्वास न करें.
- अप्राधिकृत स्थानों पर भोज्य ग्रहण न करें.
- उकसाने वाली बात करके अनावश्यक संघर्ष आमांत्रित न करें.
- अनुमन्य सीमाओं से परे नदी में जाने का साहस न करें.
- साबुन, डिटरर्जेंट का उपयोग सफाई/धुलाई के प्रयोजनार्थ करते हुये या पूजन सामग्री को फेकते हुये नदियों को प्रदूषित न करें.
- यदि किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हैं तो भीड़ भरी स्थानों पर न रूके.
- शहर में एवं मेला क्षेत्र में प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग न करें.
- प्लास्टिक की थैलियां सरकार और माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा कुंभ मेला के दौरान प्रतिषिद्ध हैं.
- खुले में शौच या मूत्र त्याग न करें.
खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशी में और वृहस्पति, मेष राशी में प्रवेश करते हैं. मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को "कुम्भ स्नान-योग" कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलिक माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है. यहां स्नान करना साक्षात स्वर्ग दर्शन माना जाता है.
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