कुंभ 2019: 'डिजिटल बाबा' का यह अंदाज सबसे निराला, युवाओं से ऐसे जोड़ रहे मन के तार
गेरुआ वस्त्र, माथे पर त्रिपुंड और हाथ में Apple का लेटेस्ट फोन. प्रयागराज कुंभ मेले में संतों के बीच यह अनूठा संत
प्रयागराज:
गेरुआ वस्त्र, माथे पर त्रिपुंड और हाथ में Apple का फोन, पैरों में स्पोर्टस शूज और चेहर पर मंद मुस्कान. प्रयागराज कुंभ मेले में संतों के बीच यह अनूठा संत युवाओं को सोशल मीडिया के जरिए धर्म, अध्यात्म, जीवन दर्शन व भारतीय संस्कृति से रूबरू करा रहा है. लोगों में डिजिटल बाबा के नाम से मशहूर संत स्वामी राम शंकर देश भर में घूमते रहते हैं और रास्ते में पड़ने वाले पड़ावों के प्रेरक विषयों का खुद ही वीडियो बना कर यूट्यूब और फेसबुक पर अपडेट व फेसबुक लाइव करते रहते हैं.
इस समय कुंभ में धूनी रमा रहे डिजिटल बाबा ने बताया कि कुम्भ में आने का मुख्य प्रयोजन यह है कि धर्म आस्था के इस महामेला में आने वाले युवा वर्ग से मुखातिब हो सकूं. उनसे बात करके ये जान सकूं कि आज की पीढ़ी धर्म,अध्यात्म, रोजगार, जीवन दर्शन व भारतीय संस्कृति को किस रूप में समझ रही हैं. हमारा प्रयास हैं कि आध्यात्म व युवा पीढ़ी को एक दूसरे के साथ अच्छी तरह से जोड़ सके.
साधू के रूप में जब कोई सामने दिखाई देता हैं तो युवा किनारा कर लेते हैं पर मेरे साथ वो आसानी से जुड़ जाते हैं. इसका सबसे बड़ा वजह ये हैं कि हम हमारे बीच जेनरेशन गैप नहीं आता. हम उन्हें ज्ञान देने की जगह उनसे मैत्री भाव स्थपित करते हैं. मैं जानता हूँ कि यदि कोई एक बार जुड़ जायेगा तो हमारे विषय से भी खुद ब खुद जुड़ा रहेगा.
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पिछले वर्षो धार्मिक आध्यात्मिक लोगों के भीतर की सच्चाई देख कर जन मानस में दुविधा है किसे सही समझे किससे बच कर दूर रहने की आवश्यकता है. इसका सबसे आसान युक्ति ये हैं कि जो लोग व्यवसायिक मानसिकता से युक्त दिखे उनसे आप खुद को दूर रखें जैसे जैसे धर्म आध्यात्म से होने वाले आर्थिक लाभ लोगो को समझ मे आने लगा हैं बहुतायत की संख्या में लोग इस विधा को व्यवसाय बना लिये हैं. डिजिटल बाबा ने साझा किया आपको बता दें बाबा जी दिखने में इतने आकर्षक हैं कि जिस जगह से गुजरता, वहा के लोगों को अपनी अदा बोली भाषा ज्ञान व्यवहार से हर पीढ़ी को अपना दीवाना बना लेता.
पढ़ाई के दौरान हो गए वैरागी
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पले बड़े इस युवा संन्यासी में जीवन को जानने समझने के दिशा में बचपन से ही प्रबल जिज्ञासा व्यप्त थी गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी काम की पढा़ई करने के दौरान संसार की लौकिक उपलब्धियों से हट कर आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो गये. वर्ष 2008 नवम्बर में अयोध्या के लोमश आश्रम के महंत स्वामी शिवचरण दास महाराज से दीक्षा प्राप्त कर वैरागी बन गये .
स्वामी राम शंकर फेसबुक पर इतने लोकप्रिय है कि इनके एक फेसबुक मित्र जो सिंगापुर में रहते है इस वर्ष जब होली में भारत आये तो स्वामी जी के लिये iPhone6 ला कर उपहार स्वरूप भेट किए. स्वामी राम शंकर बताते है कि वर्ष 2013 में एक कैनेडा की महिला से हमारी भेट हुयी जिसने पहली मुलाकात में ही उन दिनों मुझे Macbook Pro भेट किया. मजेदार बात ये है कि इन दोनों को उपयोग करते हुये हमें जब आज का युवा देखता हैं तब वो हमारे प्रति एक कौतुहल का भाव प्रगट करता है
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स्वामी राम शंकर दास महाराज का जन्म 1 नवम्बर सन् 1987 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के ग्राम खजुरी में हुआ गोरखपुर में स्थित योगी आदित्यनाथ जी के शिक्षण संस्थान महाराणा प्रताप इण्टर कालेज गोलघर से बारहवीं तक एवं पण्डित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर से बी.काम. तक की पढाई वर्ष 2009 में आप ने सम्पन्न किया.
आध्यात्मिक जीवन का आरम्भ
वैराग्य प्रबल होने के कारण 11 नवम्बर वर्ष 2008 को अयोध्या धाम में स्थित लोमश आश्रम के महन्त स्वामी शिवचरण दास महाराज द्वारा वैष्णव परम्परा में आपको वैराग्य-संन्यास की दीक्षा प्राप्त हुआ . स्वामी राम शंकर जी के भीतर सनातन धर्म के शास्त्रो के अध्ययन की उत्कट इच्छा रही जिसके कारण आप दर्शनयोग महाविद्यालय रोजड़ गुजरात, कालवा गुरुकुल जीन्द हरियाणा,चिन्मय मिशन द्वारा संचालित गुरुकुल सांदीपनि हिमालय, तपोवन कांगड़ा हिमाचल,बिहार स्कूल ऑफ़ योग के रिखिया पीठ देवघर झारखण्ड, कैवल्य धाम योग विद्यालय लोनावला महाराष्ट्र व इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ छत्तीसगढ़ में रह कर 8 वर्ष तक वेद - उपनिषद, रामायण,भगवद्गीता,योगशास्त्र व संगीत का गहन अध्ययन किया है. वर्तमान में श्री रामकथा का वाचन कर देश भर में संस्कार व आध्यात्मिक ज्ञान को अत्यंत सरलता, सरसता व सुबोधगम्यता से युवा पीढ़ी जिज्ञासु जन को सुना समझा कर आत्मसात करा रहें हैं
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