logo-image

सूर्य के धनु में प्रवेश के साथ खरमास शुरु, अब 14 जनवरी 2018 तक नहीं होंगे शुभ काम

हिंदू धर्म में खरमास को काला महीना कहा जाता है। खरमास को पुरूषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है।

Updated on: 30 Dec 2017, 07:21 AM

नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में खरमास को काला महीना कहा जाता है। खरमास को पुरूषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान विशेष परिस्थिति को छोड़ कर किसी भी तरह का शुभ काम जैसे शादी-ब्याह, उपनयन और गृहनिर्माण आदि काम करने की मनाही होती है।

16 दिसंबर को सूर्य के धनु की स्थिति में प्रवेश करने के साथ ही खरमास की शुरुआत हो गई है। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान शुभ काम नहीं किए जा सकते लेकिन दान-पुण्य का यह सबसे उत्तम समय होता है।

यह 14 जनवरी 2018 तक चलेगा। इस खास दिन सूर्य मकर संक्रांति में प्रवेश कर जाते हैं और इसी के साथ सारे शुभ कार्य शुरु हो जाते हैं।

कब आता है खरमास
जब सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करता है, तो अगले 1 महीनों तक खरमास रहता है। इन 30 दिनों की अवधि को शुभ नहीं माना जाता है। सूर्य प्रत्येक राशि में एक माह रहता है. इस हिसाब से 12 माह में वह 12 राशियों में प्रवेश करता है। सूर्य का भ्रमण पूरे साल चलता रहता है।

खरमास के दौरान प्रचलित मान्यताएं:-

* खरमास के दौरान देव निंदा और झगड़ा आदि करने से बचना चाहिए।
* अगर कुंडली में बृहस्पति धनु राशि में हो तो भी इस अवधि में शुभ कार्य किये जा सकते हैं।
* खरमास में शराब, मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
* गया में श्राद्ध भी इस अवधि में किया जा सकता है, उसकी भी मनाही नहीं है।
* माना जाता है कि इस दौरान भिखारियों को खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए, साथ ही दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए।

ब्रह्म पुराण में वर्णित कथा के अनुसार खरमास के महीने में मरने वाले लोगों को नरक की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि  खरमास के अंतिम दिन लोगों को दान-दक्षिणा में हिस्सा लेना चाहिए। दान स्वरूप आप निर्धन जनों को खाद्य सामग्री, गुड़ और कपड़े दे सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें: मंदिर में क्यों बजाई जाती है घंटी? क्या ये है वजह...