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महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा की धूम, आज से हिन्‍दू नववर्ष की शुरुआत

आज से चैत्र नवरात्र शुरू हुआ है और इसके साथ ही हिन्‍दू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसे हिन्दू नववर्ष, वर्ष प्रतिपदा, उगादि, नवसंवत्सर, गुड़ी पड़वा और युगादी भी कहा जाता है।

Updated on: 18 Mar 2018, 12:04 PM

नई दिल्ली:

आज से चैत्र नवरात्र शुरू हुआ है और इसके साथ ही हिन्‍दू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसे हिन्दू नववर्ष, वर्ष प्रतिपदा, उगादि, नवसंवत्सर, गुड़ी पड़वा और युगादी भी कहा जाता है। देश के शहरों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है और मनाया जाता है।

महाराष्ट्र में इस दिन मनाए जाने वाले इस विशेष पर्व को गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग घर के मुख्य दरवाजे पर गुड़ी यानी पताका लगाते हैं और दरवाजों को आम के पत्तों से तोरण द्वार बनाते है। यहां गुड़ी पड़वा को बहुत खास तरह से मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा पर्व से जुड़ी कर्इ कथाएं हिन्दू सनातन् धर्म में हैं। इनसे से एक कथा यह भी है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने श्री लंका के शासक बाली पर विजय प्राप्त कर लोगों को उसके अत्याचारों और कुशासन से मुक्ति दिलार्इ। इसी खुशी में हर घर में गुड़ी यानि विजय पताका फहरार्इ जाती है।

वहीं एक दूसरी कथा के अनुसार इस दिन ब्रह्राजी ने सृष्टि का निर्माण किया था और इसी के साथ सृष्टि में जीवन की शुरुआत हुई थी। जिसके कारण आज का दिन शुभ माना जाता है।

इस दिन माना जाता है कि गुड़ी लगाने से घर की समृद्धि बनी रहती है। कुछ लोग यह त्योहार पुरानी फसल के बाद नई फसल की तैयारी के लिए मनाते हैं, कुछ बदलते मौसम के लिए मनाते हैं।

कर्नाटक में गुडी पड़वा को युगादी पर्व के नाम से जाना जाता है। आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसे उगादी नाम से जानते हैं। वहीं गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो के नाम से मनाता है।

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