HOLI 2019 : कितने बजे है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, जानें यहां
बुधवार को है होलिका दहन, भद्रा समाप्त होने के बाद शुभ मुहूर्त में होगा होलिका दहन
ऩई दिल्ली:
होलिका दहन होली उत्सव की पहली संध्या को मनाया जाता है. होलिका दहन के अगले दिन होली का उत्सव मनाया जाता है. समाज में होलिका दहन का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. होली धार्मिक त्योहार के साथ-साथ रंगों का भी त्योहार है. सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियां बांटते हैं. छोटो अपने से बड़ों को रंग लगाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. बड़े लोग अपने से छोटे को लंबी आयु के लिए शुभ आशीष देते हैं. होली का रंग सभी के जीवन में खुशियों से भर देता है.
यह भी पढ़ें - Holi 2019: इस बार होली पर बन रहे हैं दुर्लभ संयोग, ऐसा करेंगे तो जीवन में भर जाएंगे खुशियों के रंग
इस बार होली 21 मार्च यानी बृहस्पतिवार को है. इसलिए होलिका दहन होली की पहली संध्या यानी बुधवार को होगा. होलिका दहन भद्रा खत्म होने के बाद शुभ मुहूर्त में होगा. शुभ मुहुर्त रात्रि के 8 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी. पंडित बता रहे हैं कि उत्तरी फाल्गुनी नक्षत्र दूसरे दिन पड़ेगा. पं. देवी प्रसाद मिश्रा का कहना है कि भद्रा रात 8 बजकर 20 मिनट से पहले ही समाप्त हो जाएगी. इसके बाद होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शुरू होगा. होलिका दहन 8 बजकर 20 मिनट से लेकर 9 बजकर 30 मिनट तक किया जाएगा. इसके बाद प्रतिपद्दा आ जाएगा. दिन में होलिका दहन नहीं किया जाएगा.
होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका दहन के दिन श्रद्धालु फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन स्नान कर व्रत करें. होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में होलिका दहन के स्थान पर जाकर पवित्र जल से स्थान को धो लें. अग्नि में उपले, लकड़ी और कांटे डालकर पूजा-अर्चना करें. इसके बाद कम से कम तीन बार और अधिक से अधिक सात बार होलिका की परिक्रमा करें. कच्चे सूत के धागे को होलिका में लपेटें. ऐसी मान्यता है कि किसान अपनी पहली फसल भगवान को अर्पित करते हैं. इससे उच्च पैदावार होती है. इसके बाद किसान फसलों की कटाई करते हैं.
यह भी पढ़ें - HOLI : होली के दिन होता है ये टोटका, रोगी हो जाते हैं निरोग
क्यों मनाया जाता है होलिका दहन
हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद से काफी परेशान रहता था. प्रह्लाद हमेशा भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था. हिरण्यकश्यप नास्तिक था. वह ईश्वर से घृणा करता था. बेटे को जान से मारने के लिए कई कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. उसके बाद अपनी बहन की गोद में प्रह्लाद को बैठा दिया. उसकी बहन को आग में न जलने का वरदान मिला था. लेकिन उसकी बहन जल कर राख हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बैठा रहा. उसके बाद से हर साल होलिका दहन मनाया जाता है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें प्रभु यीशु के बलिदान की कहानी
-
Sheetala Ashtami 2024: कब है 2024 में शीतला अष्टमी? जानें पूजा कि विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
-
Chaitra Navaratri 2024: भारत ही नहीं, दुनिया के इन देशों में भी है माता के शक्तिपीठ
-
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार देश का शासक कैसा होना चाहिए, जानें