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जयपुर के लक्ष्मीनारायण मंदिर से आठ दिशाओं में निकले चार श्‍वेत अश्व, ये है इसकी वजह

यह अनूठा कार्यक्रम नवसंवत्सर के प्रति जागरूता लाने और नवसंवत्सर 2076 का प्रचार प्रसार करने के लिये किया गया.

Updated on: 05 Apr 2019, 06:27 PM

जयपुर:

नवसंवत्सर 2076 प्रारम्भ का प्रचार करने के लिये चार श्वेत अश्व (घोडे़) जयपुर की स्थापना के पूर्व के ऐतिहासिक स्थल बड़ी चैपड़ स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर से जयपुर के प्रमुख संत मंहत, प्रबुद्व व्यक्तियों एवं विद्वान पण्डितों ने विधिवत पूजा अर्चना कर रवाना किया. यह अनूठा कार्यक्रम नवसंवत्सर के प्रति जागरूता लाने और नवसंवत्सर 2076 का प्रचार प्रसार करने के लिये किया गया.  

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इसमें श्वेत अश्व (घोडे़) के दोनों तरफ नवसंवत्सर की शुभकामनाओं के बैनर लगे हुए हैं. आगे ढोल बज रहे हैं. घोडे़ के ऊपर छतरी और नाचते गाते हुये कार्यकर्ता साथ चल रहे हैं.
संस्कृति युवा संस्था एवं नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में संस्कृति युवा संस्था के सुरेश मिश्रा सपत्नीक श्रीमती नीलम मिश्रा को नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष ज्योतिशाचार्य पवन शर्मा ने विधि विधान से विद्वान पण्डितों के साथ वैदिक रीति के साथ अश्वो की पूजा अर्चना करवाई.

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उसके पश्चात् संस्कृति युवा संस्था के अध्यक्ष सुरेश मिश्रा, महामण्डलेष्वर महंत पुरुषोत्तम भारती, संस्कृति युवा संस्था के संरक्षक एच.सी. गणेशिया, जयपुर शहर अध्यक्ष अनिल सारस्वत, युथ अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने चारों अश्वो की लगाम पकडकर बडी चैपड की परिक्रमा कर पूर्व, पष्चिम, उत्तर, दक्षिण दिशा में रवाना किया गया.

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यह अश्व जयपुर शहर के प्रमुख मंदिरों में ईषान में खोले के हनुमानजी मंदिर, पूर्व में गलता, आग्नेय में गोनेर मंदिर, दक्षिण में सांगा बाबा, नैऋत्य में स्वामी नारायण मंदिर, पष्चिम में हाथोज हनुमानजी, वायव्य में कदम्ब डूंगरी व उत्तर में आमेर में काले हनुमान मंदिर जी के लिये छोडे गये और नवसंवत्सर का 3 दिन तक अनूठे तरीके से प्रचार-प्रसार करेंगे.