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Hariyali Teej 2018: सोलह श्रृंगार के साथ ऐसे करें मां गौरी की पूजा, इन बातों का रखें ख्याल

हरियाली तीज 13 अगस्त को सुबह साढ़ें आठ बजे से 14 अगस्त को सुबह 5 बजे तक है। इस दौरान महिलाएं और पुरुष पूजा विधि के अनुसार सारे शुभ-मंगल कार्य कर सकते हैं।

Updated on: 13 Aug 2018, 05:43 PM

नई दिल्ली:

पति की लंबी उम्र, मनचाहे वर की प्राप्ति और अच्छे सौभाग्य के लिए महिलाएं हरियाली तीज का व्रत रखती है। इस दिन वह मेंहदी ज्वैलरी सहित सोलह श्रृंगार करती है। । हरियाली तीज के दिन वृक्ष, नदी और जल के देवता वरुण की पूजा की जाती है।

पुराणों के अनुसार, भगवान शिव की प्राप्ति के लिए माता पार्वती ने 108 साल तक कठोर तपस्या की थी। हरियाली तीज के ही दिन उन्हें इसका फल मिला था। इसलिए उत्तर भारत में सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही नहीं बल्कि कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं।

हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल की तृतीया को करने का विधान है। यह व्रत द्वितीया और तृतीया तिथि के बीच न होकर अगर चतुर्थी के बीच हो तो अत्यंत शुभकारी माना जाता है, क्योंकि द्वितीया तिथि पितरों की तिथि और चतुर्थी तिथि पुत्र की तिथि मानी गई। इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज 13 अगस्त  को सुबह साढ़ें आठ बजे से 14 अगस्त को सुबह 5 बजे तक है। इस दौरान महिलाएं और पुरुष पूजा विधि के अनुसार सारे शुभ-मंगल कार्य कर सकते हैं।

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ऐसे करें पूजा
व्रत करने वाली स्त्रियों को चाहिए की व्रत के दिन सायंकाल घर को तोरण आदि से सुशोभित कर आंगन में कलश रख कर उस पर शिव और गौरी की प्रतिष्ठा बनाएं। उनका विधि-विधान से पूजन करें। मां गौरी का ध्यान कर इस मंत्र का यथासंभव जप करें- 'देवि देवि उमे गौरी त्राहि माम करुणा निधे, ममापराधा छन्तव्य भुक्ति मुक्ति प्रदा भव।'

इन बातों का रखें ध्यान

  • हरियाली तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखें। सुबह नहा-धोकर मां गौरी की मूर्ति को साफ करके उन्हें भी रेशमी वस्त्रों और आभूषणों से सजाएं।
  • हरियाली तीज की पूजा के दौरान कथा सुनने का विशेष महत्व होता है। कथा सुनने के वक्त मन में पति या भगवान शिव का ही स्मरण रहे।
  • महिलाओं को इस दिन सोलह श्रृंगार करना चाहिए। वहीं लड़कियों को भी अच्छे से तैयार होना चाहिए। इस दिन पैरों में आलता और हाथों में मेहंदी लगवाना महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • हरियाली तीज महिलाओं के लिए विशेष होता है। उन्हें पूजन आदि के साथ लोक गीत आदि गाना-नाचना और झूला भी झूलना चाहिए।

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रिश्तों में झूठ-झगड़ा और निंदा का त्याग ही तीज शब्द का अर्थ बताया जाता है।