भगवान गणपति ने भी लिए थे 8 अवतार, जानें सभी अवतारों का रहस्य
देश भर में गणेश चतुर्थी की धूम है. लोग गणपति के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. पुराण के अनुसार गणेश भगवान ने 8 अवतार धारण किए थे. इस बात को बहुत ही कम लोग जानते हैं. आइए जानते हैं गणपति के वो 8 अवतार कौन-कौन से थे-
नई दिल्ली:
देश भर में गणेश चतुर्थी की धूम है. लोग गणपति के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. पुराण के अनुसार गणेश भगवान ने 8 अवतार धारण किए थे. इस बात को बहुत ही कम लोग जानते हैं. आइए जानते हैं गणपति के वो 8 अवतार कौन-कौन से थे-
वक्रतुंड- भगवान गणेश का पहला अवतार वक्रतुंड (vakratunda) था. यह अवतार गणपति ने मत्सरासुर नामक दैत्य और उसके दो असुर बेटों के वध के लिए धरा था. मत्सरासुर भगवान शिव का महाभक्त था उसे असीम शक्तियां प्राप्त थी. जिसके घमंड में आकर वो अत्याचार करना शुरू कर दिया था. जिसमें उसके दोनों बेटे भी मदद कर रहे थे. जब देवी-देवताओं ने गणपति भगवान से दैत्य के अत्याचार की कहानी बताई तो उन्होंने वक्रतुंड अवतार धारण कर मत्सरासुर और उसके दोनों पुत्रों का वध कर संसार को मुक्त कराया.
एकदंत- गणपति जी का दूसरा अवतार एकदंत था. मद नामक रक्षक का अंत करने के लिए उन्होंने एकंदत (ekadanta) का अवतार लिया था. एकदंत ने युद्ध में देवराज इंद्र को भी पराजित कर दिया था लेकिन शिव और पार्वती के पुत्र से जीत नहीं पाया.
महोदर- मोहासुर नामक दानव का वध करने के लिए गणपति ने तीसरा अवतार महोदर (mahodar) का लिया. इसमें इनका पेट बहुत बड़ा था. गणपति जी के इस अवतार को देखकर दानव मोहासुर ने आत्मसमर्पण कर दिया.
गजानन- पुराणों में कहा गया है कि एक बार कुबेर जब कैलाश पर्वत पर आए तब वो मां पार्वती पर मोहित हो गए. उनके काम से लोभासुर का जन्म हुआ. लोभासुर शिवजी की घोर तपस्या कर के महाशक्तिशाली बनने का वरदान प्राप्त कर लेता है. वरदान के घमंद में वो धरती और देवलोक में कहर बरपाना शुरू कर देता है. जिससे देवता गणपति के पास जाते हैं. गणपति भगवान असुर का वध करने के लिए गजानन का अवतार धारण किया था.
लंबोदर- क्रोधासुर नामक महादानव का अंत करने के लिए भगवान लम्बोदर अवतार लिया. क्रोधासुर का जन्म शिव के मोहिनी पर मोहित होने की वजह से हुआ था.
विकट- जलंधर के संहार के लिए जब भगवान विष्णु ने उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया तब उनके मिलन से कामासुर नामक दैत्य की उत्पति हुई जिसने त्रिलोक पर विजय प्राप्त करके अधर्म को बढ़ाने लगा. कामासुर से त्रिलोक को मुक्त कराने के लिए उन्होंने विकट अवतार लिया. इस अवतार में गणेश भगवान का वाहन मोर था.
विघ्नराज- ममासुर दैत्य के वध के लिए गणेश भगवान ने सातवां अवतार विघ्नराज लिया था.
धूम्रवर्ण- पुराणों में कहा जाता है कि एक बार सूर्य भगवान के अंदर घमंड आ गया था. उस वक्त उनकी छींक से एक दैत्य का जन्म हुआ जिसका नाम अहम था. उसने गणेश भगावन की घोर तपस्या कर महाशक्तिशाली बनने का वरदान मांगा. लेकिन जब उसका अत्याचार बढ़ने लगा तब उन्होंने धूम्रवर्ण अवतार लेकर उसको सबक सिखाया.
गणेश चतुर्थी में 10 दिन भक्त इनके आठों अवतार की पूजा करते हैं. गणपति बप्पा श्रद्धालुओं के हर मनोकामना को पूरा करते हैं.
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