नई दिल्ली:
13 सितंबर से गणपति बप्पा हर घर में पधारने आ रहे है, जो पूरे दस दिन अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाएंगे। गणेश चतुर्थी को लेकर पूरे देश तैयारियां जोरों पर है। भूवनेश्वर में भी मूर्तिकारों ने गजानन जी की मूर्ति को अंतिम रूप दिया। गणेश चतुर्थी का यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है।
भगवान शिव शंकर और पार्वती के पुत्र गणेश को 108 नामों से जाना जाता है। सभी देवताओं में सबसे पहले गणेश की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि गणेश चतुर्थी मनाने का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री के बारे मेंः
पूजन का शुभ मुहूर्तः
गणेश स्थापना का शुभारंभ करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 08 मिनट से शुरू होगा। शुरू होने के बाद दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक आप घर में गणपति की स्थापना कर सकते हैं।
पूजन सामग्रीः
गणेश स्थापना से पहले पूजा की सारी सामग्री एकत्र कर लें। पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, गणेश प्रतिमा, जल कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, लवा जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलायची, नारियल, चांदी का वर्क, सुपारी, लौंग पंचमेवा, घी, कपूर आदि एकत्र कर लें।
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स्थापना विधिः
सुबह स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करके सही दिशा का चुनाव करके चौकी स्थापित करें। भगवान गणेश की स्थापना से पहले उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद उन्हें गंगाजल से स्नान कराने के बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश प्रतिमा को स्थापित करें। रिद्दि-सिद्दि के रुप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी भी रखें।
पूजन विधिः
स्थापना के बाद गणेश जी को सिंदूर लाएं और चांदी का वर्क लगाएं। उसके बाद जनेऊ, लाल पुष्प, दूब, मोदक, नारियल आदि सामग्री भगवान को अर्पित करें।
गणेश मंत्रः
सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान की आरती करें और ‘वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे दे सर्व कार्येषु सर्वदा।। मंत्र का जप करें।
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आपको बता दें कि श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।
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