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प्रधानमंत्री मोदी ने किया सिद्धगंगा मठ का दौरा, जानिए क्यों खास है ये मठ

सिद्धगंगा मठ लिंगायत समुदाय के लोगों का मुख्य मठ माना जाता है. इसके अलावा इसे बीजेपी समर्थक भी माना जाता है

Updated on: 02 Jan 2020, 02:59 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार के दो दिवसीय कर्नाटक दौरे पर हैं. इस दौरान पीएम मोदी तुमकुर के सिद्धगंगा मठ पहुंचे है जहां वह एक जनसभा को संबोधित भी कर रहे हैं. पीएम मोदी के सिद्धगंगा मठ के दौरे से लोगों के मन में ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इस मठ में ऐसा क्या खास है कि पीएम मोदी भी यहां पहुंचे है. तो आइए जानते हैं इस मठ की खासियत

क्यों खास है ये मठ?

दरअसल कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की संख्या काफी ज्यादा है. राज्य में करीब 18 फीसदी लिंगायत समुदाय के लोग है. सिद्धगंगा मठ लिंगायत समुदाय के लोगों का मुख्य मठ माना जाता है. इसके अलावा इसे बीजेपी समर्थक भी माना जाता है. मठ की स्थापना श्री हरदानहल्ली गोशाला सिद्देश्वर स्वामीगलु ने 15 वीं शताब्दी में कर्नाटक के एक गांव में की थी.

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श्री हरदानाहल्ली गोशाला सिद्देश्वर निरंजन जगद्गुरु के मठ प्रमुख के क्रम में 15वें स्थान पर थे. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने हरदानहल्ली में अगले पीठाचार्य को अपना प्रमुख पद सौंप दिया और अपने धार्मिक कार्यों के लिए अपना स्वतंत्र स्थान बनाने के लिए अपने 101 अनुयायियों के साथ शिवगंगा गए. फिर वह शिवगंगा से केतु समुद्र (अब कथासंध्र) के पास एक पहाड़ी पर चले गए. उन्होंने अध्ययन और ध्यान के लिए अपने अनुयायियों के लिए 101 गुफाएं बनाईं और सिद्धगंगा में मठ की स्थापना भी की.

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ऐसा कहा जाता है कि अपने एक वृद्ध शिष्य श्री गोशाला सिद्देश्वर के प्यास को बुझाने के लिए उन्होंने चट्टान पर प्रहार किया और उस चट्टान से पानी की एक धारा निकली. पवित्र जल को 'सिद्धगंगा' के रूप में नामित किया गया था और इस प्रकार इस स्थान को नाम दिया गया था. स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि इस पवित्र जल में मानसिक और शारीरिक बीमारियों को ठीक करने की शक्ति है और सभी समुदायों द्वारा इसका उपयोग करने की अनुमति है. पंद्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक श्रीगोलासिद्धेश्वर के शिष्य श्री शंकराचार्य स्वामीजी ने अपना काम जारी रखा

बताया जाता है कि ये मठ जरूरतमंदों और गरीबों की सेवा करता है जहां किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता.