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Mokshada Ekadashi 2019: इस दिन मनाया जाएगा मोक्षदा एकादशी, मिलेगी मोक्ष की प्राप्ति

मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को आती है, जो इस बार 8 दिसंबर को मनाई जाएगी. मान्यता के अनुसार, इस दिन पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं बताया जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था.

Updated on: 06 Dec 2019, 10:55 AM

नई दिल्ली:

मनुष्य की योनि में जन्म लेने से छुटकारा पाकर मोक्ष की प्राप्ति के लिए लोग न जानें कितने जतन करते हैं. लोग व्रत, दान, पूजा-पाठ हर उपाय करते हैं, जिसमें मोक्षदा एकादशी के भी विशेष मायने है. मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को आती है, जो इस बार 8 दिसंबर को मनाई जाएगी. मान्यता के अनुसार, इस दिन पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति  होती है. वहीं बताया जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था.  बता दें कि ये व्रत  निर्जला रखना अच्छा होता है लेकिन  आवश्यकता होने पर जलीय आहार और फलाहार लिया जा सकता है.

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ऐसे करें मोक्षदा एकादशी की पूजा-

1. सबसे पहल  सुबह को उठकर नहाकर भगवना सूर्य को जल चढ़ाएं

2. अब पीले कपड़ें पहनकर भगवान कृष्ण की पूजा करें

3. भगवान कृष्ण पर पीले फूल, तुलसी और पंचामृत चढ़ाएं

4.  कृष्ण के मंत्रों का जाप करें या भगवदगीता का पाठ करें

5.  किसी गरीब व्यक्ति को वस्त्र या अन्न का दान करें.

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मोक्षदा एकादशी का महत्व

पद्मपुराण में भगवान श्रीकृष्ण, धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं- इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए. मोक्षदा एकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है. इस दिन उपवास रखकर श्रीहरि के नाम का संकीर्तन, भक्तिगीत, नृत्य करते हुए रात्रि में जागरण करें.

मोक्षदा एकादशी की कथा-

एक समय गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था. एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके पिता नरक में दुख भोग रहे हैं और अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे हैं. अपने पिता की यह दशा देखकर राजा व्याकुल हो उठा. प्रात: उठकर राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने स्वप्न के बारे पूछा. तब ब्राह्मणों ने कहा कि, हे राजन्! यहां से कुछ ही दूरी में वर्तमान, भूत, भविष्य के ज्ञाता पर्वत नाम के एक ऋषि का आश्रम है. आप वहां जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछा लिजिए. राजा ने ऐसा ही किया.

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जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो वे एक मुहूर्त के लिए नेत्र बन्द किए. उन्होंने कहा कि- हे राजन! पूर्वजन्मों के कर्मों की वजह से आपके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है. अब तुम मोक्षदा एकादशी का व्रत करो और उसका फल अपने पिता को अर्पण कर दो, तो उनकी मुक्ति हो सकती है. राजा ने मुनि के कथनानुसार ही मोक्षदा एकादशी का व्रत किया. ब्राह्मणों को भोजन, दक्षिणा और वस्त्र आदि अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया. इसके बाद व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई.