logo-image

Makar Sankranti 2020: जानिए क्या है मकर संक्रांति का महत्व, क्यों मनाया जाता है ये त्योहार

मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह ज्यादातर हर राज्य में मनाया जाता है. हालांकि हर जगह अलग-अलग नाम होते हैं

Updated on: 15 Jan 2020, 07:11 AM

नई दिल्ली:

मकर संक्रांति (Makar sankranti) का त्योहार हिंदुओं के लिए यह बेहद खास है. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, यानि सूर्य उत्तरायण होता है. मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व भी है. मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. वहीं दूसरी मान्यता है कि मकर संक्रांति (Why is Makar Sankranti celebrated?) के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया था. इस जीत को मनाने के लिए मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.

वहीं, संक्रांति पर्व के दिन से शुभ कार्यों का मुहूर्त समय शुरू होता है. कहा जाता है कि इस दिन देवता अपनी 6 माह की निद्रा से जागते हैं. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना, एक नए जीवन की शुरुआत का दिन होता है. शास्त्रों में इस दिन को देवदान पर्व भी कहा गया है.

यह भी पढ़ें:  Makar Sankranti 2020: जानिए क्या होता है तिल के दान और गंगा स्नान का महत्व

हर राज्य में मनाया जाता है ये पर्व (Where is Makar Sankranti celebrated)

मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह ज्यादातर हर राज्य में मनाया जाता है. हालांकि हर जगह अलग-अलग नाम होते हैं. तमिलनाडु में इसे 'पोंगल' के नाम से जानते हैं. आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे सिर्फ संक्रांति कहते हैं. पंजाब और हरियाणा में एक दिन पहले इसे 'लोहड़ी' के नाम से मनाया जाता है. इस पर्व पर पतंगबाजी लोकप्रिय और परंपरागत खेल है. वहीं उत्तर प्रदेश या कहें यूपी और बिहार में इस पर्व को 'खिचड़ी' के नाम से जाना जाता है. इस दिन लोग उड़द और चावल की खिचड़ी बनाते हैं. तिल, कंबल और गौ का दान करते हैं.

यह भी पढ़ें: Makar sankranti 2020: 15 जनवरी को इस शुभ मुहूर्त पर करें पूजा, इन बातों का रखें खास ध्यान

स्नान-दान की परंपरा

मकर संक्रांति पर तिल दान करने की परंपरा है. इस दिन कई जगहों पर मेला लगता है. लोग तड़के स्नान करते हैं और गंगा के किनारे साधु-संतों को दान देते हैं. ऐसा माना जाता है कि माघ मास में सूर्य जब मकर राशि में होता है, तब इसका लाभ प्राप्त करने के लिए देवी-देवता पृथ्वी पर आ जाते हैं. अत: माघ मास एवं मकरगत सूर्य जाने पर यह दिन दान-पुण्य के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन व्रत रखकर, तिल, कंबल, सर्दियों के वस्त्र, आंवला आदि दान करने का विधि-विधान है.

इस दिन से सूर्य दक्षिणायण से निकल कर उत्तरायण में प्रवेश करता है. इससे विवाह, ग्रह प्रवेश के लिए मुहूर्त समय की प्रतीक्षा कर रहे लोगों का इंतजार समाप्त होता है. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का उपयोग करने और उसके दान के पीछे भी यही मंशा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तेल, शनिदेव का और गुड़, सूर्यदेव का प्रिय खाद्य पदार्थ है. तिल तेल की जननी है, यही कारण है कि शनि और सूर्य को प्रसन्न करने के लिए इस दिन लोग तिल-गुड़ के व्यंजनों का सेवन करते हैं.