Mahashivratri 2020 : क्या है महाशिवरात्रि की पूजा विधि, जानें यहां
भगवान शिव को खुश करने के लिए उनके भक्त पवित्र नदियों में स्नान से लेकर बहुत कुछ करते हैं. आइए जानते हैं कि सन 2020 में महाशिवरात्रि की पूजा विधि (Mahashivratri Puja Vidhi) क्या है.
नई दिल्ली:
महाशिवरात्रि 2020 (Mahashivratri 2020) आने वाली है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सब कुछ करते हैं. भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्त पूजा करते हैं तो भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. लेकिन अगर महाशिवरात्रि की पूजा (Mahashivratri ki Puja) गलत तरीके से हो जाए तो इसके विपरीत परिणाम हो सकते हैं. भगवान शिव को खुश करने के लिए उनके भक्त पवित्र नदियों में स्नान से लेकर सब कुछ करते हैं. आइए जानते हैं कि सन 2020 में महाशिवरात्रि की पूजा विधि क्या है. इसके साथ ही जानते हैं कि आखिर शिवरात्रि की सही पूजा विधि क्या है. आगे बढ़ने से पहले यह सवाल भी आपके मन में होगा कि आखिर महाशिवरात्रि कब है (Mahashivratri Kab Hai). तो आपको बता दें कि इस बार महाशिवरात्रि 21 फरवरी (Mahashivratri 21 February) को है.
महाशिवरात्रि पर पूजा करने का तरीका/पूजा विधि (Mahashivratri Puja Vidhi)
- महाशिवरात्रि के दिन पूजा करने के लिए चाहें तो मंदिर जाएं या फिर घर के मंदिर में आसन पर स्नान करने के बाद बैठें
- मंदिर में रखा दीपक जलाएं और पूजा करने का संकल्प लें.
- सबसे पहले भगवान गणेश और माता पार्वती का ध्यान करें.
- भगवान शिव का ध्यान करते हुए घर की प्रतिमा को थाली में रखें.
- भगवान शिव की प्रतिमा को पहले गंगाजल से नहलाएं. फिर दही, घी और शहद से स्नान कराएं.
- इसके बाद भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं.
- इस सब के बाद भगवान शिव पर वस्त्र, फूल, इत्र, माला और बेल पत्र चढ़ाएं.
- इसके बाद भोलेनाथ को नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं.
- इसके बाद भगवान शिव को दक्षिणा चढ़ा कर शिव आरती गाएं.
- अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे.
शिव आरती (Lord Shiva Arti)
ॐ जय शिव ओंकारा....
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे|
हंसासंन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
दो भुज चारु चतुर्भज दस भुज अति सोहें|
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
अक्षमाला, बनमाला, रुण्ड़मालाधारी|
चंदन, मृदमग सोहें, भाले शशिधारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा....
श्वेताम्बर,पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें|
सनकादिक, ब्रम्हादिक, भूतादिक संगें||
ॐ जय शिव ओंकारा...
कर के मध्य कमड़ंल चक्र, त्रिशूल धरता|
जगकर्ता, जगभर्ता, जगसंहारकर्ता॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका|
प्रवणाक्षर मध्यें ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी|
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावें|
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
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