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8 नवंबर को जाग रहे हैं भगवान विष्णु, देवोत्थान एकादशी से बजने लगेंगी शहनाई

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से परिवार पर प्रभु की विशेष कृपा बनी रहती है. साथ ही मां लक्ष्मी घर पर सदैव धन, संपदा और वैभव की वर्षा करती हैं. देवोत्थान एकादशी यानी 8 नवंबर को तुलसी विवाह की भी परंपरा है.

नई दिल्‍ली:

क्षीर सागर में चार महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु 8 नवंबर को उठेंगे. इसके बाद से सभी तरह के शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे. मान्‍यता है कि देवश्यनी एकादशी के बाद से सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. जो की देवउठनी एकादशी पर ही आकर फिर से शुरू होते हैं. देवोत्थान एकादशी इस बार 8 नवंबर को पड़ रही है.

बता दें देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से परिवार पर प्रभु की विशेष कृपा बनी रहती है. साथ ही मां लक्ष्मी घर पर सदैव धन, संपदा और वैभव की वर्षा करती हैं. देवोत्थान एकादशी यानी 8 नवंबर को तुलसी विवाह की भी परंपरा है.

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इसका शुभ मुहूर्त 8 नवंबर को शाम 7:55 से रात 10 बजे तक रहेगा. 8 नवंबर को विवाह करना अत्यधिक शुभ है. इस दिन से अन्य शुभ काम भी प्रारंभ हो जाएंगे. कार्तिक मास में अन्य शुभ वैवाहिक मुहूर्त भी हैं, जिसमें विवाह करना मंगलमय और शुभ रहेगा. 19, 20, 21, 22, 23, 28 व 30 नवंबर को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं.

यह है पौराणिक कथा

धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने दैत्य शंखासुर को भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को मारा था. विष्णु और शंखासुर के बीच युद्ध इतना लंबा चला कि इसके समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु बहुत अधिक थक गए. थककर चूर भगवान विष्‍णु क्षीर सागर में आकर सो गए.

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चार महीने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब उनकी निद्रा टूटी तो वह दिन एकादशी का था. उस समय सभी देवी-देवताओं द्वारा भगवान विष्णु का पूजन किया गया. इसीलिए इस एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है.